क्या दाहिनी तरफ से अक़ामत कहना ज़रूरी है

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 क्या दाहिनी तरफ से अक़ामत कहना ज़रूरी है


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की नमाज़ के लिए जो तकबीर कही जाती है वह इमाम के किस जानिब खड़े होकर पढ़ना चाहिए

 साईलशाहिद रज़ा (पीलीभीती)

 जवाब  अक़ामत कहीं से भी कह सकते हैं दाहिनी हो या बाएं जानिबमगर बेहतर है कि इमाम के ठीक पीछे से कही जाए,

 क्योंकि कुतुबे फिक़्ह में है कि सब से ज़्यादा अल्लाह की रहमत इमाम पर नाज़िल होती है फिर इमाम के पीछे मुक़्तदी पर फिर दाहिने जानिब मुक़्दी परइस एतबार से बेहतर यही है कि इमाम के पीछे से कही जाए या फिर दाहिनी जानिब से,

 सरकारे आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा मुहद्दीस बरेलवी अलैहिर्रहमां फरमाते हैं 
अक़ामत की निस्बत भी तअय्यून जहत की दाहिनी तरफ हो या बाएं तरफ फक़ीर की नज़र से ना गुजरी हां इस क़दर कह सकते हैं कि मुहाज़ाते इमाम फिर जानिब रास्त मुनासिब तर है, (फतावा रज़विया जिल्द दोम सफा ४६५)

والله و رسولہ اعلم بالصواب



 अज़ क़लम

  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)




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