(सैयद साहब की बीवी को ज़कात देना कैसा है ? जबकि बीवी सैयद नहीं)
सवाल : सैयद साहब की बीवी को ज़कात देना कैसा है ? जबकि बीवी सैयद नहीं है ब हवाला जवाब इनायत करें
साईल : कनीज़ ए मुस्तफा ﷺ
जवाब : सैयद साहब की बीवी जो सैयद नहीं है अगर वह मालिके निसाब से खाली हैं तो ज़कात ले सकती हैं और उसे दे सकते हैं यहां तक कि किसी की बीवी सैयद है पर शौहर सैयद नहीं और उनसे जो औलादें हों अगर वह फक़ीर हो तो वह भी ज़कात ले सकता है खुसूसन सैयदों की शान इस्लाम में बहुत आला है कि ग़नी आमिल ज़कात से उजरत ले सकता है मगर यह हज़रात तो क्या उनका ज़र्रा खरीद गुलाम यह उजरत भी नहीं ले सकता इससे वह लोग इबरत पकड़े जो आज कल सैयदों को ज़कात खाना जायज़ करने की धुन में है सादात को ज़कात लेना हरगिरज़ जायज़ नहीं(मिरात ५७)
अलबत्ता जब वह सैयद नहीं तो ज़कात ले सकती हैं जबकि हाज़त मंद हो यानी मालिके निसाब ना हो क्योंकि ममानअत फक़त सादात ए किराम के हक़ में है यहां तक कि अगर कोई औरत सैयद है और शौहर सैयद नहीं तो उन से जो औलाद पैदा हो अगर वह फक़ीर हो तो उसको भी देने में हर्ज नहीं क्योंकि नसब बाप से चलता है बीवी से नहीं(रजविया)
अल्लाह ﷻ इरशाद फरमाता है
اِنَّمَا الصَّدَقٰتُ لِلْفُقَرَآءِ وَ الْمَسٰكِیْنِ وَ الْعٰمِلِیْنَ عَلَیْهَا وَ الْمُؤَلَّفَةِ قُلُوْبُهُمْ وَ فِی الرِّقَابِ وَ الْغٰرِمِیْنَ وَ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَ ابْنِ السَّبِیْلِؕ
ज़कात तो उन्हीं लोगों के लिए है मोहताज और नरे नादार और जो उसे तहसील करके लाएं और जिनके दिलों को इस्लाम से उल्फत दी जाए और गर्दनें छुड़ाने मैं और क़र्ज़दारों को और अल्लाह की राह में और मुसाफिर को
(ترجمہ کنزالايمان:(التوبۃ:9/ 60/)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इम्तियाज़ क़मर रिज़वी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)