यज़ीद को काफिर कह सकते हैं या नहीं
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में कि यज़ीद को काफिर कह सकते हैं या नहीं कुरान व हदीस की रौशनी में मुदल्लल व मुफस्सल जवाब इनायत फरमाएं आपकी ऐनू नवाज़िश होगी
साईलमोहम्मद शमश तबरेज़ क़ादरी
जवाब आला हज़रत मुजद्दीद ए आज़म इमाम अहमद रज़ा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू फरमाते हैं यज़ीद प्लीद अलैही मायस्तहक़्क़ा मिनल अज़ीज़िल मजीद क़तअन यक़ीनन बइज्मा अहले सुन्नत फासिक़ व फाजिर व जरी अलल कबाइर था इस क़द्र पुर अइम्मा ए अहले सुन्नत का इत्तिबाक़ व इत्तिफाक़ हैसिर्फ उस की तकफीर व लअन में एख्तिलाफ फरमायाइमाम अहमद बिन हंबल रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू और उनके इत्तिबा व मुवाफिक़ीन उसे काफीर कहते और बे तखसीस नाम उस पर लअन करते हैं,
और हमारे इमामे आज़म रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू ने लअन व तकफीर से एहतियातन सकूत फरमाया की उस से फिस्क़ व फुजूर मुतवातिर हैं कुफ्र मुतवातिर नहींऔर बहाले एहतमाल निसबते कबीरा भी जायज़ नहीं ना की तकफीर
امثال وعیدات مشروط بعدم توبہ ہیں لقولہ تعالٰی فسوف یلقون غیا الامن تاب
यानी अन क़रीब वह दोज़ख के गी में जाएंगेमगर जिन्होंने तौबा किया और तौबा तादम गरगरा मक़बूल है और उसके अदम पर जज़म नहीं और यही अहत व आअलम है
(फतावा रज़विया जिल्द १४ सफा ५९२ / ५९३)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)