अपनी बेवा लड़की को ज़कात का माल देना अज़ रूए शरअ कैसा है
सवाल : अपनी बेवा लड़की को ज़कात का माल देना अज़ रूए शरअ कैसा है बहवाला जवाब इनायत फरमाएं
साईल : मोहम्मद यूनुस रज़ा
जवाब : बाप अपनी बेटी या बेटी अपने बाप को ज़कात नहीं दे सकते इसी तरह मां अपनी बेटी या बेटी अपनी मां को ज़कात नहीं दे सकती की यह जायज़ नहीं वरना ज़कात अदा नहीं होगी अगरचे लड़की बेवा हो हां अगर मदद करना ही है तो ऐसे ही अतिया से मदद करें हदीस शरीफ में है
बहक़ी ने हज़रत ए मौला अली रज़ि अल्लाहू तआला अंहू से रिवायत की की फरमाया
सदक़ ए मफ़रूज़ा में औलाद और वालिद का हक़ नहीं है
(السنن الکبری، کتاب قسم الصدقات باب المراة تصریف من زکاتھا فی زوجھا، الحدیث 13229، جلد ہفتم، صفحہ نمبر، 45)
चुनांचे बदाउस सनाअ (بدائع الصنائع) मे है
(ومنھا ان لا تکون منافع الاملاک متصلتہ بیت المودًی وبین المودٌی الیہ لان ذٰ لک یمنع وقوع الاداء تملیکا من الفقیر من کل وجہ بل یکون صرفاً الی نفسہ من وجہ۔ وعلی یخرج الدفع الی الوالدین وان علوا والی المولودین وان سفلوا لان احدہما ینتفع بمال
الآ خر ولا یجوز ان یدفع الرجل الردزکات الی زوجتہ با لاجماع)
(ماخوذ بدائع الصنائع ص 162 . ج دوم)
तर्जुमा और उन्हीं शराईत में से एक यह भी है कि इम्लाक के मनाफेअ ज़कात देने वाले और लेने वाले के दरमियान मुत्तसिल ना हों क्योंकि ऐसा होना ज़कात की अदायगी से माने है कि इसमें (من کل الوجوہ) तमलिक (تملیک) फक़ीर नहीं पाई जा रही है बल्कि यह एक एतबार से अपने ऊपर ही ज़कात का पैसा खर्च करना है इसी वजह से वालिदैन को ज़कात देना अगर्चे ऊपर तक हो या अपनी औलाद को ज़कात देना अगर्चे निचे तक हों खारिज हो गया क्योंकि यह उनमें से एक का दूसरे के माल से नफा उठाना है और मर्द का अपनी ज़ौजा को ज़कात देना बिल इज्मा जायज़ नहीं
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
आफताब आलम रहमती मिस्बाही देहलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)