खाने के बर्तन का धोवन
मेहमान जब खाने से फ़ारिग़ हो जाए और मेज़बान खाने में शरीक हो तो उसे चाहिये कि दस्तरख्वान पर गिरे हुए टुकड़ों को चुन कर खाले और फिर बर्तन को भी उंगलियों से साफ करके उंगलियों को चाट ले ताकि मेहमान भी इस सुन्नत पर अमल करे और मेज़बान के लिए बेहतर है कि गिरे हुए टुकड़ों को खाने और बर्तन को साफ़ करने की फज़ीलत भी बयान करे कि हदीस शरीफ़ में है" जो शख़्स दस्तरख्वान से रोटी के टुकड़े चुन कर खाले तो उस के रिज़क में कुशादगी होगी, उस की औलाद बे ऐब होगी और वह टुकड़े हूरों का महर होंगे,
इसी तरह एक और हदीस में है “जो शख़्स बरतन पोंछ लेता है तो बरतन उस के हक में यूँ दुआ करता है, ऐ परवर दिगार जिस तरह इस ने मुझे शैतान के हाथ से छुड़ाया तू इसे आतिशे दोज़ख से आज़ाद कर" और अगर खाने वाला बरतन में पानी डालकर उस का धोवन पी जाए तो ऐसा सवाब होगा गोया उस ने *एक गुलाम आज़ाद किया।(सुन्नते आदाब बितगय्यूर सफ़ह 186)