मैयत के साथ बुजुर्गाने दीन के तबर्रूकात रखना कैसा?

0

 मैयत के साथ बुजुर्गाने दीन के तबर्रूकात रखना कैसा?


 सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन की जब ज़ैद मुरीद हुआ तो उनके पीर साहब एक टोपी अता फरमाए उस टोपी को ज़ैद अदब व एहतराम से रखा और ज़ैद का इंतकाल हो गया तो क्या उस टोपी को ज़ैद के सर पर पहनाया जाए या नहीं बराए करम जवाब जल्द इनायत फरमाएं एनु करम होगा?

 साईल: मोहम्मद ज़ुबेर अहमद (मक़ाम मोजूलिया बाज़ार पोस्ट पकरिया जिला सीतामढ़ी बिहार)

 जवाब: बुजुर्गाने दीन के तबर्रूकात को कफन में रखना जायज़ है जैसा कि मिश्कात बाब मैयत के गुस्ल के बयान में उम्मे अतिया रज़ि अल्लाहू अंहा से रिवायत है की जब हम ज़ैनब बिन्ते रसूलूल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम को गुस्ल देकर फारिग हुए तो नबी करीम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम को खबर दी हमको हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने अपना तहबंद शरीफ दिया और फरमाया कि इसको तुम कफन के अंदर जिस्में मैय्यत से मुत्तसील रख दो इसी हदीस की तरह करते हुए लमआत में फरमाते हैं 

 هذا الحديث اصل فى التبرك باثار الصالحين ولباسهم كما يفعله بعض مريدى المشائخ من لبس اقمصهم فى القبر '

 यानी यह हदीस सालेहीन की चीज़ें और उनके कपड़े से बरकत लेने की असल है जैसा कि मशाईख के बाज़ मुरीदें क़ब्र में मशाईख के कुर्ते पहना देते हैं इसी हदीस के मातिहत ( اشعتہ اللمعات) शरीफ में है 

 دریں جا استحباب تبرک است بہ لباس صالحین و آثار ایشاں بعد از موت در قبر چنانچہ قبل از موت نیز ہم چنیں بودہ

 यानी  इससे साबित हुआ कि सालेहीन के लिबास और उनके तबर्रुकात से बादे मौत क़ब्र में भी बरकत लेना मुस्तहब है जैसा की मौत से क़ब्ल था

 यही शेख अब्दुल हक़ मोहद्दीस देहलवी (اخبار الاخیار) मैं अपने वालिद माजिद सैफुद्दीन क़ादरी क़ुदुस सिर्रा के अहवाल में फरमाते हैं

 چوں وقت رحلت قریب تر آمد فرمودند کہ بعض ابیات و کلمات کہ مناسب معنی عفو ومغفرت باشد در کاغذے بنویسی و باکفن ہمراہ کنی

 जब उनके वफात का वक़्त क़रीब आया तो फरमाया के बाज़ वह अशआर और कलमात जो कि अफू बख्शीश के मुनासिब हों किसी कागज़ पर लिखकर मेरे कफन में साथ रख देना इसलिए ज़ैद के पीरे तरिक़त से मिली हुई टोपी को सर में पहना कर दफन कर सकते हैं इसमें कोई क़बाहत नहीं है यह बुजुर्गाने दीन का तरीक़ा है इससे इनकार करे जिसके दिल में औलिया ए कामलिन से बुगज़ व अदावत है

       والله اعلم بالصواب

 अज़ क़लम

 हज़रत मुफ्ती मोहम्मद रज़ा अमजदी 

 हिंदी ट्रांसलेट 

 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top