सवाल:चादर ओढ़ कर नमाज़ हो जाएगी जवाब इनायत फरमाएं?
साईल: मोहम्मद रिजवानुल्लाह (महाराजगंज)
जवाब: सर से चादर ओढ़ कर नमाज़ पढ़ने से बिलाशुब्ह नमाज़ हो जाएगी हा़ कन्धे से ओढ़ कर मकरुह होगी कि हज़रत फिक़्ह मिल्लत अलैहीर्रहमां से इसी तरह का सवाल किया गया तो आपने फरमाया की चादर सर से ओढ़ कर नमाज़ पढ़ना सुन्नत है कांधे से ओढ़ कर नमाज़ पढ़ना खिलाफे सुन्नत है
फतावा अमजदीया मैं है चादर ओढ़ने में बेहतर यह है कि सर से ओढ़े इस तरह ओढ़ना मुताबिक़ ए सुन्नत है और कंधे से अगर ओढ़े है जब भी नमाज़ हो जाएगी नमाज़ में कराहत नहीं यानी कराहते तहरीमी नहीं (फतावा रिज़वीया शरीफ जिल्द सोम पर है)
चादर अगर रूकू में या खड़े होने से गिर जाए तो हाथ से इशारे करके सर पर रख लेनी चाहिए और अगर नहीं रखेगा तो नमाज़ मकरूह होगी यानी मकरूह तन्ज़ीही होगी (फतावा फैज़ूर रसूल जिल्द १ सफा नंबर ३७५)
(यूं ही फतावा मिल्लत में दुर्रे मुख्तार के हवाले से है)
अल्लामा हसकफी अलैहिर्रहमां तहरीर फरमाते हैं कि
کرہ سدل تحریما للنھی (ثوبه)ای إرساله بلا لبس معتاد ومنديل يرسله من كتفيه فلو من احدهما لم يكره.
(दुर्रे मुख्तार मअ शामी जिल्द सानी सफा ४०५)
और इसी के तहत अल्लामा इब्ने आबदीन शामी अलैहिर्रहमां तहरीर फरमाते हैं कि
إذا ارسل طرفا منه على صدره وطرفا على ظهره يكره
और अल्लामा अब्दुल क़ादिर राफई अलैहिर्रहमां तहरीर फरमाते हैं कि
قول الشارح فلو من احدهما لم يكره اى احد كتفيه ولف الباقى على عنقه.
(तक़रीरात अर्राफई जिल्द सानी सफा ८४)
और हुजूर सदरूश्शरिया अलैहिर्रहमां हालत ए नमाज़ में चादर ओढ़ने का तरीक़ा यूं बयान फरमाते हैं कि रुमाल या शाल या रज़ाइ या चादर के किनारे दोनों मुंढो से लटकते हों, यह ममनूअ व मकरूहे तहरीमी है और एक किनारा दूसरे मुंढे पर डाल दिया है और दूसरा लटक रहा है तो हर्ज नहीं और अगर एक ही मुंढे पर डाला इस तरह की एक किनारा पीठ पर लटक रहा है दूसरा पेट पर जैसे उमूमन इस ज़माने में मुंढों ऊपर रुमाल रखने का तरीका है तो यह भी मकरूह है (बहारे शरीयत जिल्द १ हिस्सा ३ सफा ६२६)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
हज़रत अल्लामा व मौलाना मोहम्मद यासीनुल क़ादरी साहब किबला (फरीदपुर बरेली शरीफ)
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)