मैय्यत के साथ कब्रिस्तान में रोटी और मिठाई लेकर जाना

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  मैय्यत के साथ कब्रिस्तान में रोटी और मिठाई लेकर जाना


 सवाल : कुछ जगह पर लोग मैय्यत के साथ क़ब्रिस्तान में चीटियों को खिलाने के लिए मिठाई  इस नियत से साथ ले जाते हैं कि ये क़ब्र में मुर्दे को तकलीफ़ न पहुचाएं! ऐसा करना शरअन कैसा है!


जवाब: मय्यत के साथ ले जाना रोटी का जिस तरह उलमा-ए-किराम ने मनअ फ़रमाया है वैसे ही मिठाई है और चीटियों को इस नियत से डालने कि मय्यत को तक़लीफ़ न पहुँचायें यह महज़ जिहालत है और यह नियत न भी हो तो भी बजाये इस के मसाकीन, गरीब, सालेहीन पर तक्सीम करना बेहतर है मकान पर जिस क़द्र चाहें खैरात करें! 

 कब्रिस्तान में अकसर देखा गया है कि अनाज, मिठाई तक्सीम होते वक़्त बच्चे  शोर मचाते हैं और मुसलमानों की क़बरों पर दौड़ते फिरते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए! बाज़ लोग मय्यत के साथ कबाब रोटी भी लेकर जाते हैं ये दुरुस्त नहीं(अलमलफूज़ हिस्सा,3 सफ़ह'18)

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