बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 166)

0

 बहारे शरीअत, हिस्सा- 03 (पोस्ट न. 166)


 अह़कामे फिक्हिया 

मसअला:- एक शख्स इमाम के बराबर खड़ा हुआ और पीछे सफ है तो मकरूह है ।

मसअला:- इमाम के बराबर खड़े होने के यह मअ़्ना हैं कि मुक़तदी का कदम इमाम से आगे न हो यानी उसके पाँव का गट्टा इमाम के गट्टे से आगे न हो सर के आगे पीछे होने का कुछ एअ़्तिबार नहीं तो अगर इमाम के बराबर खड़ा हुआ और चूँकि मुक़तदी इमाम से दराज़ कद है लिहाज़ा सजदे में मुक़तदी का सर इमाम ' से आगे होता है मगर पाँव का गट्टा गट्टे से आगे न हो तो हर्ज नहीं , यूँही अगर मुक़तदी के पाँव बड़े हों कि उंगलियाँ इमाम से आगे हैं जब भी हरज नहीं जबकि गट्टा आगे न हो ।

 मसअला:- इशारे से नमाज़ पढ़ना हो तो क़दम की मुहाज़ात ( मुकाबिल होना ) मोअ़्तबर नहीं बल्कि शर्त यह है कि इसका सर इमाम के सर से आगे न हो अगर्चे मुक़तदी का कदम इमाम से आगे हो ख्वाह इमाम रुकू व सुजूद से पढ़ता हो या इशारे से बैठकर या लेट कर क़िब्ले की तरफ पाँव फैलाकर और अगर इमाम करवट पर लेट कर इशारे से पढ़ता हो तो सर की मुहाजात नहीं ली जाएगी बल्कि शर्त यह है कि मुक़तदी इमाम के पिछे हो।(बहारे शरिअत हिस्सा 3, सफा 109/110)

तालिबे दुआ

अब्दुल लतीफ क़ादरी

बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ (बिहार )




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top