हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम का फातिहा दिलाना कैसा है
सवाल: हज़रत मेरा एक सवाल है कि इस माह में एक फातिहा होती है जिसको लोग बेड़ा के नाम से जानते हैं और बेड़े को बनाकर दरिया के पास ले जाते हैं या कुआँ के पास ले जाकर उस पर फातिहा दिलाते हैं और खिज़्र अलैहिस्सलाम के नाम से उस फातिहा को मंसूब करते हैं तो क्या यह करना सही है ? हवाले के साथ जवाब इनायत फरमाएं
साईल: मुख्तार आलम जिला गोंडा (यूपी)
जवाब: हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम की तरफ मंसूब करके बेड़ा वगैरा का फातिहा करना कैसा है ? तो इस तअल्लुक से फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत में है कि
हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम के नाम से फातिहा दिलाना जायज़ व दुरुस्त है मगर उसके लिए औरतों का तालाब वगैरा पर जाना और कश्ती छोड़ना जहालत और तशब्ह हुनूद है, इससे बचना लाज़िम है और उनकी फातिहा के लिए तालाब या नदी के किनारे ना जाएं बल्कि घर ही पर फातिहा दिलाएं कि मकान वगैरा में अल्लाह रसूल का ज़िक्र होना बाअसे रहमत व बरकत है, और इसके लिए दिन या महीना की भी कोई तखसीस नहीं है बल्कि आदमी जब चाहे उनकी फातिहा दिला सकता है(फतावा फकीहे मिल्लत 1/292)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इमरान रज़ा सागर
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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