जुमा का खुत्बा सुनना कैसा
सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियाने किराम मसला जे़ल में जुम्मा में जो खुत्बा पढ़ा जाता है उसको सुनना कैसा और उस खुत्बा को लाउडस्पीकर में पढ़ सकते हैं या नहीं क्या इस खुत्बा को सुनते वक़्त आदमी इधर उधर देख ले क्या यह गुनाह है ? उलमा ए कराम रहनुमाई फरमाए?
साईल:इक़बाल अहमद रिज़वी (जाजपुर उड़ीसा)
जवाब: खुत्बा सुनने वालों सामईन के मुतअल्लिक अहम मसाईल, जो काम नमाज़ की हालत में करना हराम व मना है खुत्बा होने की हालत में भी हराम वह मना है (फतावा रज़विया जिल्द ३ सफा ६९५)
जिन तक आवाज़ जाती है उनका खुत्बा सुनना फर्ज़ है और खुत्बा इस तरह सुनना फर्ज़ है कि हमा तन उसी तरफ मुतवज्जह हो और किसी काम में मशगूल ना हो, सरापा तमाम आज़ा बदन उसी तरफ मुतवज्जह होना वाजिब है अगर किसी खुत्बा सुनने वाले तक खतीब की आवाज़ नहीं पहुंचती हो जब भी उसे चुप रहना और खुत्बा की तरफ मुतवज्जह रहना वाजिब है उसे भी किसी आमाल में मशगुल होना हराम है (फतावा रज़विया जिल्द ३ सफा ६९८)
जुमा का खुत्बा माइक से पढ़ना जायज़ है शरअन कोई हर्ज नहीं जैसा कि फतावा बरैली शरीफ में है कि खुत्बा ख्वाह जुम्मा या ईदैन या निकाह हो माइक पर पढ़ सकते हैं शरअन कोई क़बाहत नहीं (फतावा बरैली शरीफ सफा २०५)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इम्तियाज़ आलम