(हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, मां के पेट में)
हज़रत बीबी माहे नूर हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की माँ, कहती हैं कि जब मोइनुद्दीन बाप के सुल्ब से मेरे पेट में मुनतकिल हुए तो अल्लाह ने अच्छाई और रहमत का द्वार खोल दिया, दीन और दुनिया की बरकत से। मेरा घर भर गया और दुश्मन दोस्त बन गए, दिन-ब-दिन मान और सम्मान बढ़ने लगा, सभी दुख और दर्द। चला गया।
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मां हजरत बीबी माहे नूर कहती हैं कि जब अल्लाह तआला ने मोइनुद्दीन के पवित्र शरीर में रूह डाली तो उस वक्त से लेकर उनके पैदा होने तक उनका यही मामूल था कि आधी रात से सुबह तक कलमा शरीफ का विर्द तिलावत करते थे और
कानों में मेंरे ज़िक्र की आवाज़ सुनाई देती थी।
हजरत बीबी माह नूर मां हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती कहती हैं कि जिस रात मोइनुद्दीन का जन्म हुआ, मेरा घर रोशनी से भर गया, दूर-दूर तक फरिश्तों की टोली नजर आ रही थी, कुछ देर बाद यह नजारा मेरी आंखों से ओझल हो गया. तो मैं डर गई फिर एक निदा सुनी, बीबी! तुम क्यों चिंतित हो यह रोशनी मेरा था, मैंने आपके पुत्र मोइनुद्दीन के हृदय (दिल)में अपना प्रकाश भर दिया और उसे दीन और दुनिया के धन से समृद्ध(माला माल) कर दिया।(गरीब नवाज़ के 100 वाक्यात)
""तालिब दुआ""
मोहम्मद मैराज वाहिदी
ट्रान्सलेट
ताज मोहम्मद क़ादरी वाहिदी
मुहम्मद मेराज रिजवी वाहिदी संभल यूपी (भारत)