दुख्यारी उम्मत की खै़र ख़्वाही
आका करीम ﷺ की उम्मत से महब्बत
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो आज के बयान में हम आका करीम ﷺ की उम्मत से महब्बत के तअल्लुक़ से सुनेंगी, यानी अपनी उम्मत से कितनी महब्बत फ़रमाते हैं, इस बारे में सुनने की सआदत हासिल करेंगी। लिहाज़ा आज के बयान में हम सुनेंगी कि बरोज़े क़ियामत आप ﷺ फ़िक्रे उम्मत में किस क़दर ग़मगीन होंगे, गुनहगार उम्मतियों की बिगड़ियां बनाएंगे, आप ﷺ के सदके में उम्मते मुस्तफ़ा पर दुन्या में जो इनायतें हुईं और जो आख़िरत में होंगी, उन की चन्द झल्कियां भी बयान होंगी, आप ﷺ ने दुन्या में अपनी कमज़ोर उम्मत को कितना याद फ़रमाया और उम्मत की याद में आप ﷺ किस क़दर गिर्या व जारी फ़रमाते रहे, येह भी सुनेंगी। अल्लाह करे कि हम सारा बयान तवज्जोह के साथ सुनने की सआदत हासिल कर सकें। आइए ! सब से पेहले एक वाकआ सुनती हैं।
लो वोह आया मेरा हामी
हज़रते सय्यदुना अब्दुल्लाह बिन उमर रादिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि उम्मत पर मेहरबान, महबूबे रहमान ﷺ ने इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन हज़रते सय्यदुना आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم अर्श के क़रीब वसीअ मैदान में ठेहरे हुवे होंगे, आप पर दो सब्ज़ कपड़े होंगे, अपनी औलाद में से हर उस शख़्स को देख रहे होंगे जो जन्नत में जा रहा होगा और अपनी औलाद में से उसे भी देख रहे होंगे जो दोज़ख़ में जा रहा होगा, इसी दौरान जनाबे आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم मेरे एक उम्मती को दोजख में जाता हुवा देखेंगे। सय्यदुना आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم पुकारेंगे : या अहमद ! या अहमद ! मैं कहूंगा : लब्बैक ऐ अबुल बशर ! हज़रते सय्यिदुना आदम عَلَيْهِمُ السَّلاَم कहेंगे : आप का येह उम्मती दोजख में जा रहा है।
इस्लामी बयानात जिल्द अव्वल सफ़ह- 258
अब्दुल लतीफ क़ादरी
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