बैंक से मिलने वाली ज़ाईद रक़म लेना कैसा है?
सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में कि बैंक में जो फिक्स डिपोज़िट करते हैं इस पर जो मनाफअ मिलता है मसलन 10000 जमा करने पर 12000 मिलता है या बीमा पॉलीसी पर जो ज़ाईद पैसा मिलता उसका क्या हुक्म है क्या वह सूद है? जवाब देकर शुक्रिया का मौका इनायत फरमाएं नवाज़िश होगी?
साईल: अहमद रज़ा क़ादरी
जवाब यहां के बैंकों से जो ज़ाईद रुपए मिलते हैं वह सूद नहीं इसलिए यहां के काफिर हरबी हैं
जैसा की हदीस शरीफ में है
لاربابین المسلم والحربی فی دارالحرب
और हदीस शरीफ में दारुल हर्ब की क़ैद वाक़ई है ना कि एहतराज़ी
लिहाज़ा वह बैंक जो खालिस यहां के गैर मुस्लिमों के हों उनसे जो ज़ाईद रुपया मिलता है उसे लेना और अपने काम में सर्फ करना जायज़ है और वह बैंक जो मुसलमानों के हों या मुस्लिम गैर मुस्लिम दोनों के मुश्तरका हों उनसे जो ज़ाइद रुपया मिले वह यकीनन सूद है हराम है(फतावा फैज़ूर्रसूल जिल्द २ सफा ३८५)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद अल्ताफ हुसैन क़ादरी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)