आला हज़रत रज़ियल्लाहु अ़न्हू की करामत

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आला हज़रत रज़ियल्लाहु अ़न्हू की करामत

कबूतरों की सुलह


  सरकारे आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने दूसरे हज का ज़िक्रे खैर करते हुए फरमाते हैं कि मक्कतुल मुकर्रमा में जिस मकान में हमारी रिहाइश थी और जहां मेरी नशिश्त थी उससे कुछ दूरी पर ऊपर के ताक़ में कबूतरों का जोड़ा रहता था,कबूतर अक्सर ऊपर से तिनका वगैरह गिराया करते जो उसके नीचे बैठने वालों पर गिरता कुछ दिनों के बाद मेरी नशिश्त उसी ताक़ के नीचे लगायी गई ताकि मुलाकात करने वालों के लिए जगह वसीअ रहे पर मेरी नशिश्त लगते ही कबूतरों ने अपना ताक़ बदल दिया अब वो दूसरे ताक़ पर जा बैठे और वहां से तिनका गिराते जो कि आने वालों पर अक्सर गिरा करता,ये देखकर हज़रत मौलाना सय्यद इस्माइल ने फरमाया कि वहशी जानवर भी आलाहज़रत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का अदब करते हैं तो मैंने कहा कि हमने उनसे सुलह करली तो उन्होंने भी हमसे सुलह करली(फैज़ाने आलाहज़रत,सफह 394)




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