शैतान इंसान का खुला दुश्मन

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 शैतान इंसान का खुला दुश्मन


 कबीला बनी अकील में से एक चोर एक घोड़ा चुराने के लिए निकला उसका अपना बयान है कि मैंने जिस कबीले से घोड़ा चुराना था उस में दाखिल हो गया और घोड़े के स्थान मअलूम करने की कोशिश करते हुए एक हीले से घर में दाखिल हो गया, घर में सख्त अंधेरा था, और अंधेरे में एक मर्द और एक उसकी बीवी दोनों बैठे हुए खाना खा रहे थे, चुंकि मैं भूका था इसलिए मैने भी अपना हाथ प्याले की तरफ़ बढ़ाया, मर्द को मेरा हाथ ऊपर मअलूम हुआ तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, मैंने फौरन दूसरे हाथ से औरत का हाथ पकड़ लिया, औरत ने कहा, तुझे क्या हो गया मेरा हाथ है, तो उसने ख्याल किया कि वह औरत का हाथ पकड़े हुए है, तो उसने मेरा हाथ छोड़ दिया, फिर वह सो गए तो मैं घोड़ा पकड़ लाया। (किताबुल - अज़किया)

सबकःउस घोड़ा चुराने वाले चोर की मिसाल शैतान पर सादिक़ आती है, जिस तरह उस चोर ने घर के अंधेरे से फाएदा उठाया और अपने हाथ की सफ़ाई दिखाता रहा, उसी तरह शैतान ने भी उस नई रौशनी के अंधेरे से खूब फाएदा उठाया और उस अंधेरे में वह पराए मर्दो और पराई औरतों पर हाथ डाल रहा है, और उसी रौशनी के अंधेरे वालों को कुछ पता नहीं चल रहा कि शैतान हमारे साथ है और वह अपनी मन मानी काररवाई कर रहा है हमारी शरम व गैरत पर हाथ डाल रहा है और हमारे दीन व मज़हब के मता बे बहा को भी उड़ाए जा रहा है, खुदा तआला उस के शर से महफूज़ रखे आमीन !(शैतान की हिकायात, सफ्हा: 140,141)



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