माफी चाहने वाले को माफ ना करने वाले पर हुक्मे शरअ क्या होगा
सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम व मुफ्तीयाने एज़ाम मसअला जे़ल के बारे में की गलतियां ना माफ़ करने वाले के बारे में क्या हुक्म है ? जो माफी मांगने के बाद भी माफ ना करता हो उलमा ए कराम रहनुमाई फरमाएं मेहरबानी होगी?
साईल: मोहम्मद इलियास बलरामपुर (यू पी)
जवाब: इस तअल्लुक से हुजूर मुमताजुल फुक़्हा हुजूर सदरूश्शरिया बदरूत्तरिक़ा हज़रत अल्लामा मुफ्ती अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं
जिस मुसलमान के सामने अगर कोई अपनी खता की माफी चाहे तो उस पर लाज़िम है कि खता माफ कर दे, वरना हदीस शरीफ में ना माफ़ करने वाले के बारे में जो वईद आई है उसका मुस्तहिक़ है (फतावा अमजदिया जिल्द ४ सफा २१ दाइरतुल मआरीफुल अमजदिया क़ादरी मंज़िल घोसी जिला मऊ यूपी)
और हुजूर फक़ीहे मिलत हज़रत अल्लामा मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा इस के हवाले से हदीसें तहरीर फरमाते हैं कि (عن عائشۃ ان رسول اللّٰہ ﷺ قال ان اللہ رفیق یحب الرفق") यानी हज़रत आईशा सिद्दीक़ा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है की हुजूर अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया कि खुदा ए तआला मेहरबान है और मेहरबानी को पसंद फरमाता है (मुस्लिम शरीफ)
(عن جریر عن النبی ﷺ قال من یحرم الرفق یحرم الخیر")यानी हज़रत जरीर रज़ि अल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहे वसल्लम ने फरमाया कि जो शख्स नरमी से महरुम किया जाता है वह (दूसरे लफ्ज़ों में) भलाई से महरुम किया जाता है(मुस्लिम शरीफ)
और एक हदीस शरीफ नक़ल करते हुए फरमाते हैं कि (عن ابی ہریرۃ قال قال رسول اللّٰہ ﷺ اکمل المؤمنین ایماناً احسنھم خلقاً") यानी हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू अन्हू ने कहा कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया मुसलमानों में कामिले ईमान वाले वह लोग हैं जिन के इखिलाक़ अच्छे हैं (माखूज़, अनवारूल हदीस सफा ३११)
लिहाज़ा अगर खता कार अपनी गलती की माफी बर सिद्क़ दिल चाहता है तो सामने वाले को चाहिए कि वह उस गलती को माफ कर दे और अल्लाह तआला की रहमत से उमीद क़वी है कि उस शख्स के माफ करने पर उसको इसका अजर रब्बे क़दीर जरूर आता करेगा और अगर माफ ना किया तो इसे भी रब माफ़ ना करे गा जब खता करेगा
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इमरान रज़ा सागर
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)