जो इमाम मुक़्तदियों से बुग्ज़ रखे उसके पीछे नमाज़ होगी या नहीं?
सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की अगर कोई इमाम अपनी नाराज़गी या दुश्मनी मस्जिद में निकाले मिसाल के तौर पर नमाज़ के बाद मुसाफा ना ले उसको ज़लील करे, तो ऐसे इमाम के लिए हुक्म क्या है ? उसके पीछे नमाज़ पढ़ने का क्या हुक्म हैं?
साईल: मोहम्मद तौफिक़ रज़ा खान क़ादरी (माले गावँ)
जवाब: सरकारे आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से सवाल किया गया ज़ैद से खालिद ज़ाहिरन व बातिनन कदूरत रखता है हत्ता कि खालिद जिस वक़्त मस्जिद में दाखिल होकर सलाम अलैकुम कहता है खालिद जवाब सलाम भी नहीं देता, और खालिद ही इमामत करता है, ऐसी हालत में ज़ैद की नमाज़ खालिद के पीछे होगी या नहीं ? और ज़ैद जमाअत तर्क कर के क़ब्ल या बाद जमाअत अलाहिदा नमाज़ पढ़ सकता है या नहीं ?
तो आप जवाब में तहरीर फरमाते हैं, महज़ दुनियवी कदूरत के सबब उस के पीछे नमाज़ में हर्ज नहीं और उस के वास्ते जमाअत तर्क करना हराम, खालिद की ज़ैद से कदूरत और तर्क सलाम अगर किसी दुनियवी सबब से है तो तीन दिन से ज़ायद हराम, और किसी दिनी सबब से है और कुसूर खालिद का है तो सख्त तर हराम, और कुसूर ज़ैद का है तो खालिद के जिम्मे इलज़ाम नहीं ज़ैद खुद मुजरिम है, (फतावा रज़विया मुतरजीम जिल्द ६ सफा ५५९)
والله تعالی اعلم بالصواب
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)