फिर्क़ ए बातिला की मस्जिद में तन्हा नमाज़ पढ़ना कैसा है
सवाल ज़ैद ने वहाबी देवबंदी या फिर्क़ा ए बातिला की मसाजिद में तन्हा नमाज़ पढ़ ली तो नमाज़ का क्या हुक्म है
जवाब नमाज़ हो गई मगर मस्जिद में नमाज़ का पढ़ने का सवाब नहीं मिला, क्यों कि फिर्क़ा ए बातिला की मसाजिद मस्जिद के हुक्म में नहीं है,
हुज़ूर सदरुश्शरिआ बदरुत्तरीक़ा हज़रते अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अमजद अली क़ादरी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं
वह गुमराह फिर्क़े जिन की गुमराही हद्दे कुफ्र तक पहुंच चुकी हो, जैसे क़ादियानी, देवबंदी, वहाबी राफज़ी ए ज़माना उन की बनाई हुई मस्जिद, मस्जिद नहीं*
قال اللہ تعالیٰ اِنَّمَا يَعْمُرُ مَسٰجِدَ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَ الْيَوْمِ الْاٰخِر
(फतावा अमजदिया जिल्द अव्वल सफा २५६)
والله تعالی اعلم بالصواب
मिन जानिब ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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