फर्ज़ की तीसरी रकात में खामोश रहा तो क्या हुक्म है

0

 फर्ज़ की तीसरी रकात में खामोश रहा तो क्या हुक्म है


 सवाल   फर्ज़ की तीसरी रकात में सूरह फातिहा पढ़ना भूल गया तीन बार सुब्हानल्लाह कहने की मिक़दार तक सोचता रहा याद ना आने पर रुकू कर लिया तो नमाज़ का क्या हुक्म है

जवाब   सूरते मसऊला में नमाज़ हो गई क्यों कि फर्ज़ की तीसरी और चौथी रकात में सूरह फातिहा पढ़ना अफज़ल है, और अगर कोई तीन बार सुब्हानल्लाह कहने की मिक़दार चुपका खड़ा रहा तो भी नमाज़ हो जाएगी

 जैसा कि बहारे शरीअत में दुर्रे मुख्तार के हवाले से है  नमाज़े फर्ज़ की तीसरी और चौथी रकात में अफज़ल सूरह फातिहा पढ़ना है और सुब्हानल्लाह कहना भी जायज़ है और बक़दरे तीन तस्बीह के चुपका खड़ा रहा तो भी नमाज़ हो जाएगी मगर सुकूत ना चाहिए (बहारे शरीअत हिस्सा सौम वाजिबाते नमाज़ मसअला १११)

         والله تعالی اعلم بالصواب

 मिन जानिब  ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप


हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top