सारे धर्म एक हैं कहना कैसा है?
सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम व मुफ्तियाने एज़ाम इस मसअला के बारे में कि अगर कोई मुसलमान यह बोलता है कि सभी धर्म बराबर हैं ऐसा बोलना या कहना क्या है जायज़ या ना जायज़ बहवाला जवाब इनायत फरमाए
साईल:मोहम्मद मुजिबुल्लाह हशमती
जवाब: मज़कूरा जुमला कुफ्र है और बोलने वाला दायरे इस्लाम से खारिज हो जाता है क्योंकि मज़हबे हक़ सिर्फ और सिर्फ मज़हबे इस्लाम है इसके अलावा दिगर मज़ाहिब बातिल हैं अल्लाह फरमाता है ( ان الدین عنداللہ الاسلام سورہ اٰل عمرآن آیت ١٩)बेशक अल्लाह के नज़दीक मज़हबे इस्लाम हक़ है उसके अलावा दूसरे अदियान सब के सब बातिल हैं अब अगर कोई बदबख्त सारे मज़ाहिब को एक कहे गोया वह हक़ को बातिल के साथ मिला रहा है और दूसरे मज़ाहिब को हक मान रगा है
तफसिर ए जलालैन में(ان الدین عند اللہ الاسلام)के हाशिया नंबर ६ पर है जिसका खुलासा यह है कि मज़कुरा शख्स इस जुमले के बोलने के सबब दायरे इस्लाम से खारिज हो गया उसको चाहिए कि कलमा पढ़े तौबा व इस्तगफार करे और अगर बीवी वाला है तो दोबारा निकाह करे वगैरा-वगैरा
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
उबैदुल्लाह रज़वी बरैलवी