२६ जनवरी मनाना कैसा है?
सवाल: उलमा ए किराम से अर्ज़ है कि २६ जनवरी मनाना कैसा है मुदल्लल जवाब इनायत फरमाएं?
साईल: जलालुद्दीन अहमद अमजदी रज़वी (मकाम नाए गांव जिला नांदेड महाराष्ट्र)
जवाब: १५ अगस्त और २६ जनवरी हर हिंदुस्तानी के लिए खुशी का दिन है क्योंकि १५ अगस्त को अंग्रेजों के जुल्मों सितम और बाला दस्ती से तमाम हिंदुस्तानियों को आज़ादी व निजात मिली, जिसकी खातिर हज़रत अल्लामा फज़ले हक़ खैराबादी वगैरा उलमा ए अहले सुन्नत ने फतावा ए जिहाद दिया था और हजारों मुसलमानाने हिंद ने इसके लिए अपनी जानें कुर्बान की थी और २६ जनवरी को जमहूरे हिंद का दस्तूर मुरत्तिब किया गया जिसमें मुसलमानों को अपने बाज़ मामलात जैसे निकाह, तलाक, मैरास वगैरा मे अहकामे शरईया के नाफिज़ की इजाज़त मिली
इसलिए यह दोनों दिन मुसलमानाने हिंद के लिए भी खुशी के दिन हैं और इज़हार ए खुशी के लिए जुलूस निकालना अवाम व ख्वास में मुतआरीफ है बशर्ते कि उसमें किसी ममनूआत ए शरईय्या का ईरतिकाब ना हो मसलन किसी मुजस्मा या किसी काफिर की ताज़ीम या उस को सलामी देना या कोई गैर शरई नारा लगाना वगैरा(हवाला, फतावा फक़ीहे मिल्लत जिल्द २ सफा २८८)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
शर्फ ए क़लम
मोहम्मद फिदाउल मुस्तफा रज़वी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)