*हज़रत सअद बिन अबी वक़ास*
*رضی اللہ تعالی عنہ*
*(आप के करामात)*
*पोस्ट नंबर 67*
*उम्र दराज़(लम्बी)हो गई*
एक शख़्स निहायत ही ख़तरनाक और जान लेवा बीमारी में मुबतला होकर अपनी ज़िन्दगी से ना उम्मीद हो चुका था। वह हज़रत सअद बिन अबी वक़ास की ख़िदमत अक़्दस में हाज़िर होगया और रो रो कर फरियाद करने लगा ऐ सहाबीए रसूल मेरे बच्चे अभी बहुत ही छोटे छोटे हैं। मेरे मरने के बाद उन की परवरिश करने वाला मुझे कोई नज़र नही आता, इसलिए आप यह दुआ कर दीजिए कि उन बच्चों के बालिग़ होने तक ज़िन्दा रहूँ। आप को उस मरीज़ के हाले ज़ार पर रहम आगया और आप ने उस की तन्दुरूस्ती और सलामती के लिए दुआ कर दी, तो वह शख़्स शिफ़ायाब होगया और बीस बरस तक ज़िन्दा रहा, हालाँकि किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस बीमारी से बच कर ज़िन्दां रह सके गा। (हुज्जतुल्लाह अललआलमीन जि2, स866 बहवाला बैहक़ी)
*तबसेराः*
हज़रत सअद बिन अबी वक़ास की इन करामतों में आप ने उन की बद दुआओं का नतीजा भी देख लिया और उन की दुआओं का जलवा भी देख लिया, इस लिए उस से सबक़ हासिल कीजिए और हमेशा अल्लाह वालों की बद दुआओं से बचते रहिए। और उन बुजुर्गों से हमेशा नेक दुआओं की भीक मांगते रहिइए। अगर आप का यह अमल रहा, तो इन्शाअल्लाह तआला ज़िन्दगी भर आप सआदत और ख़ुश बख़्ती के बादशाह बने रहेंगे।
वल्लाहु तआला आलम !
*जारी रहेगा।*
*ان شاءاللہ*
*(करामाते सहाबा हिंदी पेज 98)*
*पेश करदा*
*मोहम्मद सदरे आलम निज़ामी मिस्बाही*
*ख़तीब व इमाम गुर्जी अली बेग मस्जिद*
*नया पुरवा फैज़ाबाद अयोध्या*