*हज़रत सअद बिन अबी वक़ास*
*رضی اللہ تعالی عنہ*
*(आप के (करामात)*
*पोस्ट नंबर 61*
*दुश्मने सहाबा का अनजान*
एक शख्स हज़रत सअद बिन अबी वकास के सामने सहाबा-ए-किराम की शान में गुस्ताख़ी व बे अदबी के अलफाज़ बकने लगा। आप ने फ़रमाया कि तुम अपनी इस ख़बीस हरकत से बाज़ रहो वरना मैं तुम्हारे लिए बद दुआ कर दूँगा। इस गुस्ताख़ व बे बाक ने कह दिया कि मुझे आप की बद दुआ की कोई परवा नहीं। आप की बद दुआ से मेरा कुछ भी नहीं बिगड़ सकता। यह सुन कर आप को जलाल आगया और आप ने उसी वक़्त यह दुआ मांगी कि या अल्लाह! अगर इस शख़्स ने तेरे प्यारे नबी के प्यारे सहाबियों की तौहीन की है तो आज ही उस को अपने कहरो ग़ज़ब की निशानी देखा दे ताकि दूसरों को उस से सबक़ हासिल हो। इस दुआ के बाद जैसे ही वह शख़्स मस्जिद से बाहर निकला तो बिल्कुल ही अचानक एक पागल ऊँट कहीं से दोड़ता हुआ आया और उस को दाँतों से पछाड़ दिया और उस के ऊपर बैठ कर उस को इस क़दर ज़ोर से दबाया कि उस की पिसलियों की हड्डियाँ चूर चूर हो गईं और वह फौरन ही मर गया। यह मंज़र देख कर लोग दौड़ दौड़ कर हज़रत सअद को मुबारक बाद देने लगे कि आप की दुआ मक़बूल हो गई और सहाबा का दुश्मन हलाक हो गया। (दलाइलुन्नबुवा जि 3, स 207, व हुज्जतुल्लाह अलल आलमीन जि 2, स 866)
*जारी रहेगा।*
*ان شاءاللہ*
*(करामाते सहाबा हिंदी पेज 92/93)*
*पेश करदा*
*मोहम्मद सदरे आलम निज़ामी मिस्बाही*
*ख़तीब व इमाम गुर्जी अली बेग मस्जिद*
*नया पुरवा फैज़ाबाद अयोध्या*