*हज़रत सअद बिन अबी वक़ास*
*رضی اللہ تعالی عنہ*
*(आप के करामात)*
*पोस्ट नंबर 62*
*चेहरा पीठ की तरफ़ हो गया*
एक औरत की यह बुरी आदत थी कि वह हमेशा हज़रत सअद बिन अबी वक़ास के मकान में झांक झांक कर आप के घरेलू हालात की ताक झांक किया करती थी। आप ने बार बार उस को समझाया और मना किया। मगर वह किसी तरह रूकी नहीं। यहाँ तक कि एक दिन निहायत जलाल में आप की ज़बाने मुबारक से यह अलफाज़ निकल पड़े कि "तेरा चेहरा बिगड़ जाए" इन अलफाज़ों का यह असर हुआ कि उस औरत की गर्दन घुम गई और उस का चेहरा पीठ की तरफ हो गया।
(हुज्जतुल्लाह अलल आलमीन जिल्द 2, सफा 866, बहवाला इब्ने असाकिर)
*जारी रहेगा।*
*ان شاءاللہ*
*(करामाते सहाबा हिंदी पेज 94)*
*पेश करदा*
*मोहम्मद सदरे आलम निज़ामी मिस्बाही*
*ख़तीब व इमाम गुर्जी अली बेग मस्जिद*
*नया पुरवा फैज़ाबाद अयोध्या*