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*हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़*
                       *رضی اللہ تعالی عنہ*
       *(आप भी अशरह ए मुबश्शेरह में से हैं)*
                        *पोस्ट नंबर 56*              
 एक मर्तबा हुज़ूरे अकरम ने अपने सहाबा को सदक़ा देने की तरग़ीब दी। तो आप ने चार हज़ार दिरहम पेश कर दिए। दूसरी मर्तबा चालीस हज़ार दिरहम और तीसरी मर्तबा पाँच सौ घोड़े आर पाँच सौ ऊँट पेश कर दिए। ब वक़्ते वफ़ात एक हज़ार घोड़े और पच्चास हज़ार दीनारों का सदक़ा किया और जंगे बद्र में शरीक होने वाले सहाबा-ए-किराम के लिए चार चार सौ दीनार की वसियत फ़रमाई और उम्मुल मोमिनीन हज़रत आइशा सिद्दीक़ा और दूसरी अज़वाजे मुतहहरात के लिए एक बाग़ की वसियत की जो चालीस हज़ार दिरहम की मालियत का था। 
*(मिश्कात ज़ि 2, स 567)*
32 हिजरी में कुछ दिनों बीमार रह कर बहत्तर (72) साल की उम्र में विसाल फ़रमाया और मदीना मुनव्वरा के क़ब्रस्तान जन्नतुल बकीअ में दफ़न हुए और हमेशा के लिए सख़ावत व बहादुरी का यह सूरज डुब गया। *(अश्रए मुबश्शेरा स 229 ता 235 व अकमाल स 603 व कन्ज़ुल उम्माल ज़ि 15 स 204)*

*जारी रहेगा।*
*ان شاءاللہ*
          *(करामाते सहाबा हिंदी पेज 87)*

                      *पेश करदा*
*मोहम्मद सदरे आलम निज़ामी मिस्बाही*
*ख़तीब व इमाम गुर्जी अली बेग मस्जिद*
       *नया पुरवा फैज़ाबाद अयोध्या*
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