फ़ोन (कॉल) पर बात न करने की कसम खाना
सवाल :क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मुफ्तियाने मतीन के अगर कोई शख्स अपनी बीवी से कहे अगर मैं तुमसे फ़ोन पर किया तो मैं अपनी माँ से जिना किया और वो ये कह कर दिल्ली चला गया अब अगर वो बात करे तो उनके लिये क्या हुक़्म है?
जवाब :सूरत मसऊला में उस शख्स ने एक निहायत ना-मुनासिब बात कही जिसकी मुआफ़ी उसे अपने रब से मांगनी चाहिए, तौबा करना चाहिए लेकिन ना तो उसकी बीवी पर तलाक़ पड़ी ना उस पर कफ्फारा है।
सामान ए आखिरत में है कि औलाद पर माँ बाप का हक़ निहायत ही अज़ीमतर है और माँ का हक़ बाप से भी बढ़कर अज़ीम है।
और जन्नती ज़ेवर में है कि "खबरदार, खबरदार हर्गिज़ अपने किसी क़ौल ओ फ़ेल से माँ बाप को किसी क़िस्म की तक़लीफ़ न दो अपनी हर बात पर अपने हर आमाल से माँ बाप की ताज़ीम व तकरीम करें और हमेशा उनकी हुर्मत व इज़्ज़त का खयाल रखें।( माँ- बाप के हुक़ूक़ का बयान, सफ़ह :- 5 ـ फतावा बहरुल आलमगीरी, किताब उल तलाक़, सफ़ह :- 467 )