(हुसैनी आज़म का एक वाक्य)

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हुसैनी आज़म का एक वाक्य


 सवाल  क्या यह वाक़िआ दुरुस्त है ? कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मस्जिद-ए-नबवी में खुत्बा दे रहे हैं और हसनैन करीमैन रज़ि अल्लाहू तआला अन्हुमा अपने घर से मस्जिद-ए-नबवी में आए और गिर पड़े तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुत्बा बंद कर के उन्हें उठा लिया  

 जवाब  बिल्कुल यह वाक़िआ दुरुस्त और सही है और यह वाक़िआ तिर्मीज़ी और अबू दाऊद और निसाई ने भी रिवायत किया है,

 जैसा की हदीस शरीफ में है 
 و عن بریدۃ قال کان رسول اللہ صلی اللہ تعالیٰ علیہ وسلم یخطبنا اذ جآء الحسن والحسین علیھما قمیصان احمران یمشیان و یعثران فنزل رسول اللہ صلی اللہ تعالیٰ علیہ وسلم من المنبر فحملھما و وضعھما بین یدیہ ثم قال صدق اللہ انما اموالکم و اولادکم فتنۃ نظرت الی ھذین الصبیین یمشیان و یعثران فلم اصبر حتی قطعت حدیثی و رفعتھما (رواہ الترمذی وابو داؤد النسائی)
 यानी रिवायत है हज़रत बुरैदा से फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हम को खुत्बा दे रहे थे अचानक हसन व हुसैन आए जिन पर दो सुर्ख क़मीजें थीं वह चलते थे और गिरते थे तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेंम्बर से उतर आए और दोनों को उठा लिया फिर फरमाया सच फरमाया अल्लाह तआला ने कि तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद आज़माइश हैं मैंने उन दोनों बच्चों को देखा कि चलते गिरते हैं तो मैं सब्र ना कर सका हत्ता कि मैंने अपनी बात बंद कर दी और उन दोनों को उठा लिया,

 (मिशकात शरीफ जिल्द २ सफा ५७८/बाब मनाक़िब ए अहलेबैत)

         والله تعالی اعلم بالصواب

 मिन जानिब   ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप

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