रेशम के मुसल्ले पर नमाज़ पढ़ना कैसा है
सवाल रेशम के मुसल्ले पर नमाज़ पढ़ना कैसा है
जवाब रेशम के मुसल्ले पर नमाज़ के बारे में फतावा जवाज़ का है मगर पढ़ना ना चाहिए,
चुनांन्चे रद्दुल मुहतार में है
و فی الدر المنتقی ولا تکرہ الصلٰوۃ علی سجادۃ فی الابریسم لان الحرام ھو اللبس اما الانتفاع بسائر الوجوہ فلیس بحرام کما فی صلٰوۃ الجواہر واقرہالقہستانی
दुर्रे मुनतक़ी में है कि
रेशमी मुसल्ला (जाए नमाज़) पर नमाज़ अदा करना मकरूह नहीं, इस लिए कि रेशम का पहन्ना हराम है,
लेकिन पहन्ने के सिवा और तरीकों से फायदा उठाना हराम नहीं
जैसा की सलातुल जवाहिर में मज़कूर है और क़हस्तानी वगैरा ने इस को बर क़रार रखा है,
(رد المحتار، ج: ۹ ، ص: ۵۱۰ ، کتا ب الحظرولاباحۃ)
और बहारे शरीअत हिस्सा १६ / लिबास के बयान में है
रेशम के मुसल्ले पर नमाज़ पढ़ना हराम नहीं मगर उस पर पढ़ना ना चाहिए,
والله تعالی اعلم بالصواب
मिन जानिब ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)