माज़ून ने दूसरे से जुम्मा पढ़वा दिया तो क्या हुक्म है
सवाल खालिद माज़ून है मगर उसे एख्तियार नहीं दिया गया कि दूसरे से जुम्मा पढ़वाए फिर भी खालिद शहर में ज़ैद से जुम्मा पढ़वाया तो क्या हुक्म है
जवाब सूरते मसऊला में जुम्मा की नमाज़ हो गई
जैसा कि हुजूर सदरुश्शरिआ बदरुत्तरीक़ा अल्लामा अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमां दुर्रे मुख्तार के हवाले से तहरीर फरमाते हैं
*د बादशाह ने जिसे जुम्मा का इमाम मुक़र्रर कर दिया वह दूसरे से भी पढ़वा सकता है अगर्चे उसे इस का एख्तियार ना दिया हो कि दूसरे से पढ़वा दे,(बहारे शरीअत हिस्सा ४ सफा ७७०/जुम्मा का बयान)
والله تعالی اعلم بالصواب
मिन जानिब ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)