औरत ससुराल से मायके आ जाए तो क्या वह मुसाफिर मानी जाएगी?
सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मुफ्तियान इज़ाम इस मसअला के बारे में कि ज़ैद की बीवी ससुराल से मायके आई वह मुसाफिर होगी या नहीं बराए मेहरबानी मुकम्मल तौर पर जवाब इनायत फरमाएं ऐनु नवाज़िश होगी?
साईल: मोहम्मद दानिश रज़ा
जवाब: अगर मायका 92 किलो मीटर से कम है तो मुकम्मल पढ़ और अगर ज़ैद की बीवी का मायका उसकी ससुराल से 92. किलो मीटर के फासला पर है और वह अपनी ससुराल ही में मुस्तक़िल तौर से रहती सहती है तो अगर मायके आई और वहां 15 दिन से कम ठहरने की नियत है तो वह मुसाफिर शरई है उस पर क़सर वाजिब है
और अगर 15 दिन या उस से ज़्यादा ठहरने की नियत है या मायके में रहना नहीं छोड़ा बल्कि ससुराल आर्ज़ी तौर पर गई है तो मायके आते ही सफर खत्म हो गया वह पूरी नमाज़ पढ़ेगी (बहार ए शरीअत हिस्सा ४ सफा ७५१)
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
हज़रत अल्लामा व मौलाना मोहम्मद कलीम नूरी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)