जो ग़लत मसला बयान करे उस पर शरीयत का क्या हुक्म है
सवाल : किया फरमाते हैं उलमा ए दिन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसला के बारे में कि ज़ैद बगैर जाने कोई मसला बताता है लोगों के मसाइल के जवाब बहुत गलत बताता है उसके बारे में अज़ रूए शरअ क्या हुक्म होगा ? जवाब इनायत फरमाएं
साईल : मोहम्मद शाहरुख रज़ा क़ादरी सवार जिला रामपुर (यूपी)
जवाब : जो शख्स इल्म नहीं रखता हो और अहकाम ए शरअ से बिल्कुल ना बलद हो ऐसे लोगों का मसला बताना हराम है
हदीस शरीफ में है रसूलूल्लाह ﷺ फरमाते हैं कि
"من افتیٰ بغیر علم لعنتہ ملائکة السماء والارض"
यानी जो शख्स बगैर इल्म के फतवा दे उस पर ज़मीन व आसमान के फरिश्ते लानत करते हैं
(कंज़ुल उम्माल जिल्द १० सफा १९३)
और दूसरी हदीस शरीफ में है कि
"اجرأکم علی الفتیا اجرأکم علی النار"
यानी तुम्हें जो शख्स फतवा देने पर ज़्यादा जराअत करता है वह दोज़ख की आग पर ज़्यादा दिलेर है
(कंज़ुल उम्माल जिल्द १० सफा १८७)
(माखूज़ अज़ फतावा ए मरकज़ ए तरबीयत इफ्ता जिल्द १ सफा २०९)
ऐसा ही (फतावा ए फिक़्ह ए मिल्लत जिल्द २ सफा २१७) में मजबूर है
लिहाज़ा ज़ैद अपने इस फेल के सबब सख्त गुनाहगार मुस्तहिक़ अज़ाब है उस पर लाज़िम है कि अपने ग़लत बातों से रूजू करे और अल्लाह तआला की बारगाह में तौबा करें और आइंदा बगैर जाने कोई भी मसला ना बताने का अहद करें
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम मोहम्मद चाँद रज़ा ईस्माइली दलांगी दारुल उलूम गौसे आज़म
जो ग़लत मसला बयान करे उस पर शरीयत का क्या हुक्म है
17 जुलाई
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