अज़ाने सानी का एज़ाफा किस सहाबी ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने किया है
सवाल जुम्मा के दिन जो दो मर्तबा अज़ान होती है तो एक अज़ान की इब्तिदा किस सहाबी ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने से हुई
जवाब खलिफ ए सोम हज़रते उस्माने गनी रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू के दौर से इब्तिदा हुई,
जैसा कि फतावा बहरुल उलूम जिल्द १ सफा १४५ में है
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अहद मुबारक में जुम्मा के सिर्फ एक अज़ान होती थी जो इस वक़्त होती है जब इमाम खुत्बा देने के लिए मेंबर पर बैठता, हज़रते बिलाल रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू यह अज़ान मस्जिद के बाहर मस्जिद के दरवाज़ा पर देते, हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू के ज़माना में ऐसा होता रहा, हज़रत उमर रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू के ज़माना में ऐसा ही होता रहा, हज़रत उस्मान गनी रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू के ज़माना की इब्तिदा में भी यही मामूल रहा, जब आदमी ज़्यादा हो गए तो एक अज़ान का एज़ाफा हुआ जिसको आज कल पहली अज़ान कहा जाता है, यह अज़ान भी मस्जिद से बाहर बल्कि दूर बाज़ार में मक़ामे ज़ौरा पर दी जाती थी,
हदीस शरीफ में है
عن السائب ابن یزید رضی الله تعالیٰ عنہ قال کان یوذن بین یدی رسول اللهﷺ اذا جلس علی المنبر یوم الجمۃ باب المسجد و ابوبکر وعمر فلما کان خلافۃ عثمان وکثر الناس أمر عثمان بالاذان الثالث فاذن بہ علی الزوراء فثبت الأمر علی ذالک