सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि क्या अंबिया ए किराम के भी सज्जादा नशीन हुए हैं ? क्या उनका भी सालाना उर्स होता है
साईल अब्दुल मुबीन क़ादरी गौरा चौकी (गोंडा)
जवाब बेशक अंबिया ए किराम अलैहिमुस्सलाम के जानशीन हुए हैं, जैसा कि क़ुरआन में सैय्यदना दाऊद अलैहिमुस्सलाम का जानशीन आपके बेटे सैय्यद सुलेमान अलैहिस्सलाम को कहा इरशाद ए बारी ए तआला है
وَ وَرِثَ سُلَیْمٰنُ دَاوٗدَ
और सुलेमान दाऊद का जानशीन हुआ (कंज़ुल ईमान सूरह नम्ल १६)
सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम ने कोहे तूर पर जाने से क़ब्ल अपना जानशीन अपने भाई हज़रत हारून अलैस्सलाम को बनाया, तफसीली वाक़िआ सूरह एअराफ आयत नंबर १५१और इस की तफसीर में मौजूद है
सैयदना ज़करिय्या अलैहिस्सलाम ने दुआ की कि ए मेरे रब बेशक मुझे अपने बाद अपने रिश्तेदारों की तरफ से दिन में तब्दीली कर देने का डर है और मेरी बीवी बांझ है जिस से औलाद नहीं हो सकती, तो मुझे अपने पास से किसी सबब के बगैर कोई ऐसा वारिस अता फरमा दे जो मेरे इल्म और आले याक़ूब की नबूवत का वारिस (जानशीन) हो, जिस वक़्त हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम ने बेटे के लिए दुआ की उस वक़्त आप की ज़ौजा की उम्र तक़रीबन सत्तर (७०) साल थी, मगर फिर भी अल्लाह तआला ने हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम की दुआ क़ुबूल फरमाई और इरशाद फरमाया ऐ ज़करिया ! हम तुझे एक लड़के की खुशखबरी देते हैं जो आप का जानशीन और (आप के इल्म और आले याक़ूब की नबूवत का) वारिस होगा, उस का नाम यह्या है, यानी हज़रत यह्या अलैहिस्सलाम हज़रत ज़करिय्या अलैहिस्सलाम के जानशीन हुए जिस का ज़िक्र सूरह मरयम में है
وَ اِنِّیْ خِفْتُ الْمَوَالِیَ مِنْ وَّرَآءِیْ وَ كَانَتِ امْرَاَتِیْ عَاقِرًا فَهَبْ لِیْ مِنْ لَّدُنْكَ وَلِیًّا(۵)یَّرِثُنِیْ وَ یَرِثُ مِنْ اٰلِ یَعْقُوْبَ ﳓ وَ اجْعَلْهُ رَبِّ رَضِیًّا(۶)یٰزَكَرِیَّآ اِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلٰمِ ۔اسْمُهٗ یَحْیٰى-لَمْ نَجْعَلْ لَّهٗ مِنْ قَبْلُ سَمِیًّا(۷)
और मुझे अपने बाद अपने क़ुराबत वालों का डर है और मेरी औरत बांझ है तो मुझे अपने पास से कोई ऐसा दे डाल जो मेरा काम उठा ले, वह मेरा जानशीन हो और औलादे याक़ूब का वारिस हो और ए मेरे रब उसे पसंदीदा कर, ए ज़करिया हम तुझे खुशी सुनाते हैं एक लड़के की जिन का नाम यह्या है उस के पहले हम ने उस का नाम का कोई ना किया (कंज़ुल ईमान, सूरह मरयम आयत ५ ता ७)
मज़कूरा बाला इबारत से मालूम हुआ कि बेशक अंबिया ए किराम अलैहिमुस्सलाम के भी जानशीन हुए हैं
रही बात उर्स की तो यह कोई ज़रूरी नहीं कि जानशीन उर्स करे और ना ही उसके लिए जानशीन बनाया जाता है बल्कि जानशीन इस लिए होते हैं कि जो उमूर को अंजाम देना चाहते थे उसे मुकम्मल किया जाए या फिर उसकी रहनुमाई की जाए
हां अगर कोई अंबिया ए किराम का उर्स करना चाहे तो कर सकता है कोई हर्ज भी नहीं कि जब भी ज़िक्र खैर करेगा सवाब पएगा, यूं ही सदक़ात व खैरात करेगा सवाब पाएगा
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी उतरौलवी
हिन्दी ट्रानलेट
मौलाना रिजवानुल क़ादरीअशरफी सेमरबारी