नमाज़ जनाज़ा में कितने वाजिबात हैं
सवाल नमाज़े जनाज़ा में कितने वाजिबात हैं
जवाब नमाजे जनाजा में वाजिब व मुस्ताक नहीं है सिर्फ दो फराएज़ और सनन तीन ३ हैं,
रद्दुल मुख्तार में है
(وركنها) شيئان (التكبيرات) الأربع فالأولى ركن أيضا لا شرط فلذا لم يجز بناء أخرى عليها (والقيام) فلم تجز قاعدا بلا عذر قال الشامي : قوله (فلم تجز قاعدا) أي ولا راكبا قوله (بلا عذر) فلو تعذر النزول لطين أو مطر جازت راكبا ولو كان الولي مريضا فصلى قاعدا والناس قياما أجزأهم عندهما وقال محمد تجزي الإمام فقط حلية
(ردالمحتار علی الدر المختار جلد ۳صفحہ ، ۱۰۵ / دار عالم الکتب)
जनाज़ा में दो रुकन हैं,
(१) > चार बार अल्लहु अकबर कहना,
(२) > खड़े हो कर नमाज़े जनाज़ा पढ़ना, यानी बगैर उज़्र बैठ कर या सवारी पर नमाज़े जनाज़ा पढ़ी, ना हुई और अगर वली या इमाम बीमार था उस ने बैठ कर पढ़ाई और मुक़तदियों ने खड़े हो कर पढ़ी हो गई,
(وسنتها) ثلاثة (التحميد والثناء والدعاء فيها) ذكره الزاهدي قال الشامي : قوله (التحميد والثناء) كذا في البحر عن المحيط ومقتضى قول الشارح ثلاثة أن الثناء غير التحميد مع أنه فيما يأتي فسر الثناء بقوله سبحانك اللهم وبحمدك فعلم أن المراد بهما واحد على ما يأتي بيانه فكان عليه أن يذكر الثالث الصلاة على النبي ﷺ
(ردالمحتار علی الدر المختار جلد ۳ صفحہ ۱٠٦ دار عالم الکتب)
नमाज़े जनाज़ा में तीन सुन्नते हैं,
(१) > सना पढ़ना,
(२) > दुरूद पढ़ना,
(३) > मैयत के लिए दुआ करना,
ऐसा ही
(बहारे शरीअत हिस्सा ४ सफा ८३३/८३४)
में है
والله تعالی اعلم بالصواب
मिन जानिब ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप
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मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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