दूसरी रकात में पहली से तवील (लम्बा) क़िरात करना कैसा

0

दूसरी रकात में पहली से तवील (लम्बा) क़िरात करना कैसा

 सवाल  : किया फरमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियाने शरअ मतिन इस मसले के बारे में कि अगर कोई नमाज़ पढ़ता हो और पहली रकात में छोटी सूरत पढ़ी और दूसरी में बड़ी पढ़ी है नमाज़ का क्या हुक्म है ? और तरतीब के खिलाफ पढ़ी तो भी क्या हुक्म होगा ? जवाब इनायत फरमाएं हवाले के साथ मेहरबानी होगी

 साईल :  मोहम्मद ज़ाकिर हुसैन (बंगाल)





 जवाब  : दोनों रकातों मैं कुरान की तिलावत बराबर होना चाहिए फिर दूसरी रकात में  पहली के ब निस्बत कुछ कम हो और दूसरी रकात में इतनी लंबी करात करनी की दोनों में नुमाया फर्क़ महसूस होने लगे ऐसा करना मकरूह है (मकरूह से मुराद मुकुरुहे तन्ज़िही) मगर इससे सजदा सहव वाजिब नहीं

 (दुर्रे मुख्तार  शामी  बहारे शरीयत जिल्द ३ सफा १०२)
 ऐसा ही (मसाईल ए सजदा सहव सफा ६३) पर है

 मज़ीद तफ्सील के लिए मसाईल ए सजदा मज़कूरा सफा मुतालआ करें

        والله اعلم بالصواب 

 अज़ क़लम  हज़रत अल्लामा व मौलाना मोहम्मद मासूम रज़ा नूरी  साहब क़िब्ला मुदजिल्लूहुल आली वान्नुरानी +918052167976

 हिंदी ट्रांसलेट  मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)


   

 


Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top