सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में कि जैद ने अपनी तक़रीर में यह बयान किया कि अल्लाह तआला अपनी शान के मुताबिक़ अपने हबीब को अपने जिस्म से पैदा फरमाया नेज़ दूसरी तक़रीर में कहा कि अल्लाह तआला अपनी शान व कुदरत से अपने हबीब को अपनी शान के मुताबिक़ अपने जिस्म से पैदा फरमाया क्या ऐसा कहना दुरुस्त है ? कुरान व हदीस की रौशनी में जवाब इनायत फरमाएं
जवाब यह कहना कि अल्लाह तआला अपनी शान के मुताबिक़ अपने हबीब को अपने जिस्म से पैदा फरमाया या यह कहना अल्लाह तआला अपने शान व कुदरत से अपने हबीब को अपनी शान के मुताबिक़ अपने जिस्म से पैदा फरमाया, कुफ्र है कि इस जुमले से जिस्म का होना साबित होता है अल्लाह तआला जिस्म व जिस्मानियत से पाक है उसके लिए जिस्म मानना कुफ्र है जैसा कि सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू तहरीर फरमाते हैं कि अगर जरूरियाते दीन से किसी चीज़ का मुन्किर हो तो काफिर है जैसे यह कहना कि अल्लाह अजसाम के मानिंद जिस्म है(फ़तावा रजंविया जिल्द १४ सफ़ा२५१)
क्योंकि हर जिस्म व जान वाले का वजूद हुआ है यानी पहले ना था बाद में पैदा हुआ और अल्लाह तआला अज़ली है यानी हमेशा से है
दोम: हर जिस्म का फना है और अल्लाह तआला के लिए फना नहीं है बल्कि वह अब्दी है यानी हमेशा रहेगायू हीं हर जिस्म वाला किसी ना किसी के बतन (पेट) से पैदा होता है और अल्लाह तआला को किसी ने जन्म ना दिया और ना ही वह किसी को जन्म दिया इरशाद ए रब्बानी है
لم یلد ولم یولد
पस ऐसा कहने वाला इस्लाम से खारिज हो गया उस पर तजदीदे ईमान फर्ज़ है और शादी शुदा हो तो तजदीदे निकाह भी, और अगर ऐसा ना करे तो जुमला मोमिनीन पर लाज़िम है कि उस मुक़र्रिर का सामाजी बाई काट कर दें और उससे हरगिज़ हरगिज़ तक़रीर ना करवाएं वरना करवाने वाले भी गुनहगार होंगे की जिसको अकाईद के बारे में इतना ना मालूम हो कि अल्लाह जिस्म से पाक है उससे तकरीर करवाना हराम है
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी उतरौलवी
हिन्दी ट्रानलेट
मौलाना रिजवानुल क़ादरीअशरफी सेमरबारी