रात में कंघी करना और शीशा देखना कैसा है?)

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रात में कंघी करना और शीशा देखना कैसा है?


 सवाल: इस्लामी मालूमात ग्रुप के बावक़ार और क़ाबिले क़द्र उलमा ए किराम व मुफ्तियाने एज़ाम की बारगाह में एक सवाल पेशे खिदमत है सवाल यह है कि रात में कंघी करना और शीशा देखना कैसा है कंघी कर सकते हैं और शीशा देख सकते हैं या नहीं?

 साईल: दिलशाद अहमद (सिद्धार्थ नगर यूपी)

 जवाब:रात में शीशा देखना जायज़ है और रात कंघी करना भी बिलाशुब्ह जायज़ है इस में शरअन कोई मुमानिअत नहीं

 हुजूर आला हज़रत इमाम ए अहले सुन्नत फाज़िले बरैलवी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं 

 रात को आईना देखने की मुमानिअत नहीं बाज़ आवाम का ख्याल है कि इस से मुंह पर परछाईयां पड़ती हैं इसका भी कोई सुबूत ना शरअन है ना तबअन ना तजूरबतन और औरत की अपने शौहर के सिंगार के वास्ते आईना देखे सवाब ए अज़ीम की मुस्तहिक़ है (फतावा रज़विया जिल्द २३ सफा ४९१ मतबूआ रज़ा फाउंडेशन लाहौर)


والله و رسولہ اعلم بالصواب

अज़ क़लम

 मोहम्मद इनामुल हक़ रज़ा क़ादरी


 हिन्दी ट्रानलेट 

मौलाना रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी  




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