हजरत अली रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू को खुलफाए सलासा पर फज़िलत देना कैसा है

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हजरत अली रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू को खुलफाए सलासा पर फज़िलत देना कैसा है

सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला के बारे में कि ज़ैद कहता है कि हज़रते अली का मर्तबा हजरत अबू बकर सिद्दीक रज़ि अल्लाहो अन्हु से बढ़ कर है मेहरबानी कर के जवाब इनायत फरमाए ऐने नवाज़िश होगी

साईल: मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी (दुदही कुशीनगर)

जवाब: हज़रते अली रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू को हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ व उमर रज़ि अल्लाहू तआला अन्हुमा पर फज़ीलत देने वाला बिदअती व गुमराह है लिहाज़ा ज़ैद गुमराह व बिदअती है जैसा की हदीस शरीफ में है 

 हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि अल्लाहू तआला अन्हुमा फरमाते हैं हम गिरोह सहाबा ज़माना ए रसूल सल्लल्लाहो ताला अलैहे वसल्लम में अबू बकर व उमर व उस्मान के बराबर किसी को ना गिनते (सहीहुल बुखारी जिल्द 1 सफा 489)

 हम असहाब ए रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम कसीर व मुतवाफिर कहा करते अफज़ले उम्मत बादे रसुलल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम अबू बकर सिद्दीक़ हैं फिर उमर फारूक़ (मुसनद हारीस जिल्द 2 सफा 888)

 इसी तरह इमाम अबू ज़कर्या नोवी अलैहीर्रहमां फरमाते हैं अहले सुन्नत ने इत्तेफाक़ किया कि अफज़ल सहाबा अबू बकर हैं फिर उमर(शर्हे नोवी अला मुस्लिम ज्ल्द ,१५ सफ़ा १४८)

और अल अशबाहो वन्नज़ाइर  में है अगर मौला अली को शेखैन अबू बकर व उमर से अफज़ल बताए तो व बिदअती है (किताबुस्सैर सफा 215)

 इसी तरह फतहुल क़दीर में हैजो राफज़ी मौला अली को असहाबे सलासा पर फज़ीलत दे वह बिदअती है और अल्लामा इब्राहिम हल्बी फरमाते हैं जो सिर्फ मौला अली को अफज़ल बताता है वह अहले बिदअत से है

 खुलासा: यही है जो मौला अली को खुलफा ए सलासा से अफज़ल बता ए वह बिदअती है गुमराह बद मज़हब है

(مطلع القمرین فی ابانةسبقةالعمرین صفحہ١١٩تا١٢٩تصنیفِ اعلیٰ حضرت)واللہ اعلم بالصواب

 अज़ क़लम 
 हजरत मौलाना उबैदुल्लाह रज़वी बरैलवी

हिंदी ट्रांसलेट

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