तोशा की मन्नत मानना कैसा है

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तोशा की मन्नत मानना कैसा है


 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की तोशा की मन्नत मांगना कैसा है और उसमें कौन सा मेवा होता है

 साईलमौलवी हबीबुल्लाह (अलीगढ़)


 जवाब  तोशा की मन्नत मानना बिलाशुब्ह जायज़ है व बाअस ए बरकत है,

 जैसा कि सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू फरमाते हैंयह तोशा निहायत मुफीद चीज़ है और हाजते बर लाने के लिए मुजर्रब,

 हमारे खानदान के मशाईख में इसकी तरकीब यूं है 
(१) मैदा गंदुम (२) शकर (३) घी पांच - पांच किलो (४) मगज़ बादाम (५) पिस्ता (६) किशमिश (७) नारियल एक एक किलो (८) लौंग (९) दार चीनी (१०) छोटी इलायची ७५,पचहत्तर ग्राम,

 हुजूर (सरकारे गौसे पाक रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू) की नियाज़ देकर सालेहीन को खिलाएं और अपने मतलब की दुआ कराएअस्ल वज़न यह हैंबक़दरे क़ुदरत इनमें कमी बेशी का अख्तियार हैनिस्फचौथाईअठवां हिस्साया जितना मक़दूर हो करे वही असर देगा

 (फतावा ए रज़वीया जिल्द २९ सफा ६४७)

नोट  लफ्ज़े किलो को फक़ीर ने इज़ाफा किया है ताकि समझने में आसानी हो यह दस सामान पानी को मिलाकर ११ सामान होता है अपनी इस्तित़ाअत के मुत़ाबिक़ इसका आधा या जितना मयस्सर हो लेकर हलवा तैयार कर लें बादहू औराद वज़ाईफ पढ़कर हुजूर गौसे पाक रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू की रूह को एसाल कर के जायज़ दुआएं मांगे हलवा को खुद भी खाएं दोस्त व अहबाबगुर्बा मसाकीन को भी खिलाएं

والله و رسولہ اعلم بالصواب


 अज़ क़लम

  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)


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