किसी मुसलमान को बदनसीब कहना कैसा है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में कि मुसलमान के लिए लफ्ज़े बदनसीब इस्तेमाल करना कैसा है ? जायज़ है या नाजायज़ जैसे फलां इंसान बदनसीब है
साईलअफज़ल नूरी
जवाब किसी को बदनसीब कहने के दो सुरत है औवल किसी वजह से दोम बिला वजह बतौरे गाली या तअनासूरत औवल जायज़ है जैसे ज़ैद ने हज का फार्म भरा पास नहीं हुआ इस पर बकर ने कहा ज़ैद कितना बदनसीब है कि उसका फार्म नहीं भरा गया चूँकी बकर ने उसको बतौरे गाली या तअना नहीं कहा बल्कि उसने इस वजह से कहा कि हज का फार्म नहीं भरा गया जिसकी वजह से ज़ैद हज से महरूम रहा या इसी तरह कोई और मिसाल ले लें फक़ीर के ख्याल से यह जायज़ होना चाहिए,
दोम बतौरे गाली या तअना यह जायज़ नहीं अल्लाह तआला ﷻ इरशाद फरमाते है
وَیْلٌ لِّکُلِّ ہُمَزَۃٍ لُّمَزَۃِ
खराबी है उसके लिए जो लोगों के मुंह पर ऐब करे पीठ पीछे बदी करे,
(کنزالایمان سورۃ الہمزۃ آیت)
नीज़ फरमाता है
یٰٓاَیُّہَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا یَسْخَرْ قَوْمٌ مِّنْ قَوْمٍ عَسٰٓی اَنْ یَّکُوْنُوْا خَیْرًا مِّنْہُمْ وَلَا نِسَآئٌ مِّنْ نِّسَآئٍ عَسٰٓی اَنْ یَّکُنَّ خَیْرًا مِّنْہُنَّ٭ وَلَا تَلْمِزُوْٓا اَنْفُسَکُمْ وَلَا تَنَابَزُوْ بِالْاَلْقَابِ٭ بِئْسَ الِاسْمُ الْفُسُوْقُ بَعْدَ الْاِیْمَانِ٭ وَمَنْ لَّمْ یَتُبْ فَاُولٰٓئِکَ ہُمُ الظّٰلِمُوْنَ
ऐ ईमान वालो ना मर्द मर्दों से हंसें अजब नहीं की वह हंसने वालों से बेहतर हों और ना औरतें औरतों से दूर नहीं कि वह उन हंसने वालियों से बेहतर हों और आपस में तअना ना करो और एक दूसरे के बुरे नाम ना रखो क्या ही बूरा नाम है मुसलमान हो कर फासिक़ कहलाना और जो तौबा ना करें तो वही ज़ालिम हैं,
(کنزالایمان سورۃ الحجرات آیت نمبراا)
وَلَا تَنَابَزُوْا بِالْاَلْقَابِ
की तफसीर में सैयद नईमुद्दीन मुरादाबादी अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं कि (हर वह अलक़ाब) जो उन्हें ना गवार मालूम होमना है,
(خزائن العرفان زیر آیت)
और तफसीर ए अनवारुल बयान में है की और ना एक दूसरे को बुरे लक़ब से याद करो एक दूसरे को बुरे लक़ब देने और बुरे अलक़ाब से याद करने की मुमानिअत फरमाई
(तफसीर ए अनवारुल बयान जिल्द ५ सफा १७४)
खुलासा ए कलाम यह है कि किसी वजह से बदनसीब कहने में हर्ज नहीं मगर बेहतर है कि कम नसीब कहे अगर्चे दोनों का मफहूम एक है मगर उर्फे आम में बदनसीब मअयूब जुमला है और कम नसीब राइज है और यूं हीं बदनसीब कहना जिससे उसे तकलीफ हो या ना गवार हो जायज़ नहीं तफसील के लिए तफसीर ए अनवारुल बयान मज़कूरा हवाला का मुतालआ करें
والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)