औरतों का छत पर नमाज़ पढ़ना कैसा है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की औरतों का छत पर नमाज़ पढ़ना कैसा है तफसील के साथ जवाब इरसाल फरमाएं
साईलमोहम्मद शम्स फैज़ी (फैज़ाबाद)
जवाब औरत औरत है यानी पर्दे में रखने वाली चीज़ है इसलिए औरत को पर्दे में रहना चाहिए जैसा कि हुक्मे खुदा वंदी है
یٰٓاَیُّہَا النَّبِیُّ قُلْ لِّاَ زْوَاجِکَ وَ بَنٰتِکَ وَ نِسَآئِ الْمُؤْمِنِیْنَ یُدْنِیْنَ عَلَیْہِنَّ مِنْ جَلَابِیْبِہِنَّ ذٰلِکَ اَدْنٰی اَنْ یُّعْرَفْنَ فَلَا یُؤْذَیْنَ وَ کَانَ اللّٰہُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا
ऐ नबी अपनी बीवियों और साहबज़ादीयों और मुसलमानों की औरतों से फरमा दो कि अपनी चादरों का एक हिस्सा अपने मुंह पर डाले रहें यह उस से नज़दीक तर है की उनकी पहचान हो तो सताई ना जाएं और अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है, (कंज़ुल ईमानसूरह अहज़ाब ५९)
और हदीस शरीफ में है
عَنْ عَبْدِ اللَّہِ، عَنِ النَّبِیِّ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ، قَالَ الْمَرْأَۃُ عَوْرَۃٌ فَإِذَا خَرَجَتِ اسْتَشْرَ فَہَا الشَّیْطَانُ
हजरत अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से रिवायत है कि नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया औरत (सरापा) पर्दा हैजब वह बाहर निकलती है तो शैतान उसको ताकता है, (तिर्मीजी जिल्द १ सफा ३२२)
पर्दा का मतलब यह नहीं कि औरत को कोई ना देखे बल्कि औरत भी किसी गैर महरम को ना देखे यह भी पर्दा है,
जैसा की हदीस शरीफ में है
وَعَنْ أُمِّ سَلَمَۃَ: أَنَّہَا کَانَتْ عِنْدَ رَسُولِ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ وَمَیْمُونَۃَ إِذْ أقبل ابْن اُمِّ مَکْتُومٍ فَدَخَلَ عَلَیْہِ فَقَالَ رَسُولُ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ احْتَجِبَا مِنْہُ فَقُلْتُ یَا رَسُولَ اللَّہِ أَلَیْسَ ھُوَ أَعْمَی لَا یُبْصِرُنَا؟ فَقَالَ رَسُو لُ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ «أَفَعَمْیَا وَانِ أَنْتُمَا؟ أَلَسْتُمَا تُبْصِرَانِہِ رَوَاہُ أَحْمَدُ وَالتِّرْمِذِیُّ وَأَبُو دَاوُد
उम्मे सलमा से रिवायत है कि वह और मैमूना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास थे कि इतने में इब्न उम्मे मकतूम आए और आप की खिदमत में हाजिर हुए तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायातुम दोनों इस से पर्दा करोमैं ने अर्ज़ कियाऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क्या वह नाबीना नहीं ? वह हमें देख नहीं सकतेतो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया क्या तुम दोनों नाबीना हो ? तुम उसे नहीं देख रही हो ?
(رواہ احمد و الترمذی و ابوداؤد۔ مشکوۃ ۲۶۹)
आयते करीमा और अहादीसे तैयबा से मालूम हुआ कि औरत पर्दे में रहे ना उनकी नज़र गैर महरम पर पड़े और ना ही उन पर किसी गैर मर्द की नज़र पड़े लेकिन दौरे हाज़िर का ख्याल करते हुए और उलमा ए किराम व मुफ्तियाने इजाज़त दी हैजैसे की लड़कियों के लिए किताबत करना और बाला खाने पर चढ़ना हालांकि हदीस शरीफ में इसकी भी ममानअत आई हैलेकिन मुफ्तियाने किराम अब इसकी इजाज़त दी है यूं ही ब वक़्त ज़रूरत बाज़ार जाना कोर्ट कचहरी जाने की भी इजाज़त हैतो ज़ाहिर है कि जब बाला खाना पर छत के ऊपर चढ़ने की इजाज़त है तो नमाज़ पढ़ने की भी इजाज़त है,
लेकिन बेहतर व अफज़ल यह है कि औरतें घर के अंदर नमाज़ पढ़े और यह उनकी तक़्वा में शुमार होगा,
والله تعالی اعلم بالصواب
अज़ क़लम फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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