क्या कुर्बानी और ज़कात के निसाब में फर्क है
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की कुर्बानी का निसाब क्या है ? क्या ज़कात और कुर्बानी के निसाब में फर्क है ? मअ हवाला तहरीर फरमाएं
साईलमोहम्मद खालिद रज़ा निज़ामी
जवाब कुर्बानी का वही निसाब है जो ज़कात फित्रा का है यानी साढ़े 52 तोला चांदी (यानी 653.184 ग्रामछै सौ तिरपन ग्राम एक सौ चौरासी मिलीग्राम चांदी) या इसकी क़िमत या सामान ए तिजारत
(आम कुतूब ए फिक़्ह)
ज़कातकुर्बानी व फित्रा का एक ही निसाब है यानी वही साढ़े 52 तोला चांदी मगर दोनों के वजूब में फर्क़ है मसलन किसी के पास साढ़े 52 तोला चांदी हाजत ए असलीया के अलावा नहीं है अलबत्ता उसके पास खेत है या टेलीविज़न है या गैर आलिम के पास किताब है या घर में दो-तीन गाड़ी है या घर के दीगर सामान जो ज़रूरत से ज़्यादा है तो ज़कात वाजिब नहीं है मगर वह शख्स ज़कात नहीं ले सकता और फित्रा व कुर्बानी इस पर वाजिब है,
जैसा कि फिक़्ह ए मिल्लत मुफ्ती जलालुद्दीन अमजदी अलैहिर्रहमा से सवाल है कि ज़ैद के क़ब्ज़ा में १ बीघा खेत है जिसकी क़िमत ₹ 5000 हज़ार हैं ज़ैद के पास और किसी माल का निसाब नहीं इस सूरत में ज़ैद पर कुर्बानी वाजिब है या नहीं ?
तो आपने जवाब में तहरीर फरमाया सुरते मसउला में ज़ैद मालीके निसाब है और उस पर कुर्बानी वाजिब है कि खेत जिसकी क़िमत निसाब को पहुंचती है वह वजूब ए कुर्बानी और फित्रा के लिए काफी है,.. अल्ख
(फतावा ए फैजुर रसूल जिल्द २ सफा ४३८)
और अल्लामा सदरूश्शरिया अलैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं अहले इल्म के लिए किताबें हाजत ए असलीया से हैं और गैर अहल के पास होंजब भी किताबों की ज़कात वाजिब नहीं जबकि तिजारत के लिए ना हों,
फर्क़ इतना है कि अहले इल्म के पास उन किताबों के अलावा अगर मालवा बक़द्र निसाब ना हो तो ज़कात लेना जायज़ है और गैर अहल इल्म के लिए नाजायज़ हैजबकि २०० सौ दिरहम क़िमत की हों
(बहारे शरीयत हिस्सा ५ज़कात का बयान)
नेज़ फरमाते हैं हाफिज़ के लिए कुरान मजीद हाजत ए असलीया से नहीं और गैर हाफिज़ के लिए एक से ज़्यादा हाजत ए असलीया के अलावा है यानी अगर मुसहफ शरीफ दो सौ दिरहम (साढ़े 52 तोला चांदी की) क़िमत का हो तो ज़कात लेना जायज़ नहीं
(الجوہرۃ النیرۃ''، کتاب الزکاۃ، ص ۱۴۸)
(بحوالہ بہار شریعت ح۵/ زکوۃ کا بیان)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)