मुसलमान को काफिर कहना कैसा है

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मुसलमान को काफिर कहना कैसा है

 सवाल  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में कि किसी मुसलमान को काफिर कहना कैसा है ? अगर कोई शख्स किसी मुसलमान को काफिर कहे तो उसके लिए शरीयत का क्या हुक्म है जबकि काफिर कहने वाला खुद मुसलमान है

 साईलशाहिद रज़ा क़ादरी

 जवाब  किसी भी मुसलमान पर बगैर शरीई दलील के काफिर होने का हुक्म लगाना कुफ्र है, जैसा की हदीस शरीफ में है  عَنِ ابْنِ عُمَرَ، أَنَّ النَّبِیَّ صَلَّی اللہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ قَالَ: إِذَا کَفَّرَ الرَّجُلُ أَخَاہُ فَقَدْ بَائَ بِہَا أَحَدُہُمَا नाफेअ ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ि अल्लाहू तआला अन्हुमा से रिवायत की कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो शख्स अपने भाई को काफिर क़रार दे तो दोनों में से एक कुफ्र के साथ वापस लौटेगा (मुस्लिम शरीफ)

लिहाज़ा दूसरे मुसलमानों पर कुफ्र का हुक्म लगाने वाले शख्स को अपने दीन व ईमान की फिक्र करनी चाहिए अपनी हरकात से बाज़ आकर तजदीदे ईमान और बीवी वाला हो तो निकाह करे और अगर ऐसा ना करें तो मुसलमानों पर लाज़िम है कि उससे क़तअ तअल्लुक़ कर लेंऔर अगर उसने बतौरे गाली कहा है तो यह कुफ्र ना होगा अलबत्ता नाजायज़ व हराम है कहने वाले पर लाज़िम है कि जिस को कहा है उस से माफी मांगे और एलानिया तौबा करे

 जैसा कि सरकार ए आला हज़रत तहरीर फरमाते हैं कि  मुसलमान को बिला वजह काफिर कहने पर हदीस शरीफ ने इरशाद फरमाया कि वह कहना उस कहने वाले ही पर पलट आएगा यानी जबकि बर वजह ऐतिक़ाद हो और बर वजह दुशनाम तो अश्द कबीरा (फतावा ए रज़वीया १४सफा ३११दावते इस्लामी)

 और अगर किसी का क़ौल व फेल कुफ्री हो तो उसे काफिर कहने में हर्ज नहीं है

والله و رسولہ اعلم بالصواب

 
 अज़ क़लम

  फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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