एक तलाक़ का क्या हुक्म है और दो तीन का क्या हुक्म है ?

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एक तलाक़ का क्या हुक्म है और दो तीन का क्या हुक्म है  ?


 सवाल: क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन मुफ्तियान ए किराम इस मसला में अगर किसी ने एक तलाक़ दी तो तलाक़ वाक़य होगी या नहीं और बीवी निकाह से निकल जाएगी या नहीं दो का क्या हुक्म होगा तीन का क्या हुक्म होगा रहनुमाई फरमाएं?

 साईल: साजिद रज़ा

 जवाब: एक या दो तलाक़ दी तो तलाक़े रजई है और तलाक़े रजई का हुक्म यह है की इद्दत के अंदर यानी हामिला का बच्चा पैदा होने से पहले और गैर हामिला का तीन हैज़ आने से पहले अगर रजअत करलें तो निकाह बाक़ी रहेगा जैसा कि कुरान मजीद में

 وَاِذَا طَلَّقۡتُمُ النِّسَآءَ فَبَلَغۡنَ اَجَلَهُنَّ فَاَمۡسِكُوۡهُنَّ بِمَعۡرُوۡفٍ

तर्जुमा:और जब तुम औरतों को तलाक़ दो और उनकी मिआद आ लगे तो उस वक़्त तक या भलाई के साथ रोक लो(अल कुरान सूरह नंबर २ अल बक़रा आयत नंबर २३१)

 और अगर तीन तलाक़ दे दिया तो फिर यह तलाक़े मुग़ल्लज़ा होगी और तलाक़े मुग़ल्लज़ा का हुक्म यह है की 

 बाद इद्दत दूसरे से शादी करें फिर बाद तलाक़ या शौहर के वफात के बाद इद्दत गुज़ारे फिर शौहरे औव्वल से निकाह करे जैसा कि कुरान मजीद में है
(فان طلقھا فلا تحل لہ من بعد حتٰی تنکح زوجا غیرہ)
*यानी अगर उसे तीसरी तलाक़ भी दे दी तो वह उसके लिए हलाल ना होगी जब तक दूसरे खाविंद के पास ना रह ले यानी दूसरा खाविंद अमले ज़ौजीयत कर ले(कंज़ुल ईमान सूरह अल बक़रा आयत २३०)

والله و رسولہ اعلم باالصواب
मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी


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