जहां पाबंदी हो वहां बैल का ज़बीहा खाना कैसा है ?
सवाल :उलमा ए किराम रहनुमाई फरमाइए मंदर्जा जे़ल सवाल में कि जिस तरह दौरे हाज़रा में बैल को ज़िबह करना कानूनन जुर्म है लेकिन कहीं कहीं छुपा करके ज़िबह करते हैं तो जै़द का क़ौल है कि उस गोश्त को खाना दुरुस्त नहीं है इसलिए कि यह चोरी है उलमा ए किराम रहनुमाई फरमा दें जै़द का क़ौल कहां तक दुरुस्त है या नही
साईल मोहम्मद सद्दाम हुसैन (झारखंड)
जवाब: हिंदुस्तान की अक्सर जगहों पर गाय व बैल के ज़बीहा पर पाबंदी है और आए दिन इसके फर्ज़ी वाक़ियात पर फितना फसाद और कत्ल ग़ारत गिरी होती रहती है इसलिए आम हालात में कोई ऐसी बात नहीं करनी चाहिए जिससे अमन व आमान में ख़लल हो
साहिब ए फतावा ए बहरूल उलूम जिल्द पंजूम सफा ३६२ पर फरमाते हैं
जहां पाबंदियां हो वहां ज़िबह करना कानूनन ममनूअ है इसलिए कि कुरान मजीद में है है
الفتنة اشد من القتل '
और जहां गवर्नमेंट ने जबरन कोई कानून खिलाफे इस्लाम बनाया हो तो शरअन हम मअज़ूर हैं इसलिए इस किस्म के एक़दाम से परहेज़ करें, ज़ाबेह (ज़िबह करने वाला) का यह फेल कानूनन ममनूअ है मगर शरअन कोई नाजायज़ फेल नहीं है इसलिए उसका गोश्त खाने में कोई क़बाहत नहीं
सूरते मसउला में ज़ैद का क़ौल दुरुस्त नहीं कि गोश्त खाना हलाल नहीं क्योंकि जब ज़िबह शरई तौर पर किया गया हो तो खाने में कोई मज़ाईक़ा नहीं
والله اعلم بالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद रज़ा अमजदी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)