सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसला में की ज़ैद कहता कि मैं हुजूर का उम्मती नहीं बल्कि गोसे पाक का उम्मती हूं जिस पर बकर ने हक्मे कुफ्र लगा दिया तो इंदश्शरअ ज़ैद व बकर पर क्या हुक्म है ? हवाले के साथ जवाब इनायत फरमाए ?
साईल : मोहम्मद असगर अमजदी
जवाब : जब कोई नबी किसी क़ौम के लिए मबउस हो तो वह क़ौम उनकी उम्मत कही जाती है, चियोंकि मेरे आक़ा रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूरी कायनात के लिए नबी बनकर तशरीफ लाए जैसा की हदीस शरीफ में है
’’انی رسول اللہ الی الخلق کافۃ‘‘
इसलिए तमाम इंसान आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उमत हैं ,ज़ैद का यह कहना कि मैं गोसे पाक का उम्मती हूं शायद जहालत की वजह से ऐसा कहा है क्योंकि बाज़ अवाम को यही नहीं पता है कि बंदा किसे कहते हैं उम्मती किसे कहते हैं और गुलाम किसे कहते हैं अगर यही सही है यानी ज़ैद जाहिल ए मुतलक़ है तो कुफ्र का फतावा ना दिया जाएगा, अलबत्ता तौबा कर ले और उसको मुकम्मल समझा दिया जाए उम्मती के मफहुम को, और अगर ज़ैद जाहिल नहीं है बल्कि वह इल्म रखता है और उस माना में गोसे पाक का उम्मती बताता है कि वह हमारे नबी है तो यह कुफ्र है क्योंकि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आखरी नबी है जैसा की इरशादे रब्बानी है
’’مَا کَانَ مُحَمَّدٌ اَبَآ اَحَدٍ مِّنْ رِّجَالِکُمْ وَلْٰکِنْ رَّسُوْلَ اللّٰہِ وَخَاتَمَ النَّبِیّٖنَ ‘‘
मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तुम्हारे मर्दों में किसी के बाप नहीं हां अल्लाह के रसूल हैं और सब नबियों के पिछले.( सूरह अहज़ाब आयत नंबर 40)
हज़रत सोबान रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से मरवी है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया
’’أَنَا خَاتَمُ النَّبِیِّینَ لَا نَبِیَّ بَعْدِی‘‘
मैं आखरी नबी हूं और मेरे बाद कोई नबी नहीं आएगा,(मुसनदे अहमद हदीस नंबर 21365
ऐसी सूरत में ज़ैद काफिर हो गया उस पर तजदीदे ईमान लाज़िम है और अगर शादी शुदा है तो तजदीदे निकाह करे और अगर ऐसा ना करे तो एलानिया समाजी बाई काट कर दिया जाए,
बकर का यह कहना कि तुम काफिर हो गए ऐसी सूरत में दुरुस्त है, अगर ज़ैद जाहिल है तो फिर बकर पर तौबा लाज़िम है की बिला तहक़ीक़ के किसी पर हुक्मे कुफ्र नहीं लगाना चाहिए चियोंकि बकर ने ज़ाहिरी माना के एतबार से कुफ्र का हुक्म लगाया इस वजह से बकर पर भी कुफ्र का फतावा ना होगा
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम
फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी उतरौलवी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)