हालत ए एतिकाफ मैं मोबाइल फोन के इस्तमाल का शरई हुकम?
सवाल: एतिकाफ की हालत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल और किसी के साथ फोन पर गुफ्तगू करना और उस में वीडियो देखना कैसा है ?
साईल: मोहम्मद प्यारुल इस्लाम कादरी
जवाब:जिस तरह मोअतकिफ बेगैर मोबाइल के मजबूरी के वक्त सिर्फ जरूरत की जायज गुफ्तगू मस्जिद मे कर सकता है
इसी तरह मोबाइल पर भी काल या मैसेज के जरिए जरुरत के वक्त सिर्फ जायज गुफ्तगू कर सकता है बशर्ते की उससे किसी नमाजी की नमाज और दिगर इबादात में खलल वाके ना हो और मोबाइल की रिंगटोन भी ऐसी हो कि किसी की नमाज और इबादत में खलल वाके ना हो और ना ही रिंगटोंस गाने बाजे पर मुश्तमिल हो यानी जब तक सखत मजबूरी ना हो मोबाइल को हरगिज़ इस्तमाल ना किया जाए क्योंकि जिस तरह फी जमाना हमारे यहां मोअतकफीन मोबाइल इस्तिमाल करते हैं कि बिला जरूरत दोस्तों से और दिगर लोगों से बात करते रहते हैं यह एतिकाफ की रूहानीयत के खिलाफ भी है और शरअन इसकी इजाजत भी नहीं अल बत्ता दीनी कामों के लिए मोबाइल इस्तिमाल करने मैं हर्ज नहीं है (एतिकाफ के मसाईल और उनका हल सफा 21)
अज़ क़लम
मोहम्मद जमशेद आलम महबुबी
हिन्दी ट्रान्सलेट
मौलाना रिजवानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी