देवबंदी के हाथ का ज़बीहा का हुकुम?
सवाल: क्या देवबंदी के हाथ का ज़बीहा जायज़ है हवाले के साथ जवाब इनायत फरमाएं
साईल:मोहम्मद इमामुद्दीन निज़ामी (गोरखपुर)
जवाब: इमाम ए अहले सुन्नत हुजूर सैयदी सरकार ए आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु लिखते हैं
गैर मुक़ल्लदीन पर बे वजह कसीरा इल्ज़ाम कुफ्र है उन में जो मुनकर ज़रूरीयाते दीन हैं वह तो बिल इजमा काफिर ही हैं वरना वो फूक़्हा ए किराम उन पर हुक्म कुफ्र फरमाते हैं और ज़बीहा का हलाल होना ना होना हुक्मे फिक़्ही है खुसूसन वही एहतियात की माने तकफीर हो यहां उनके ज़बीह़ा के खाने से मना करती है की जमहूर फुक़्हा ए किराम के तौर पर हराम व मुर्दार का खाना होगा
दूसरे मक़ाम पर फरमाते हैं कि देवबंदी का ज़बीहा मुर्दार है (फतावा रज़विया जिल्द 20 सफा 249)
अज़ क़लम
हज़रत मौलाना मोहम्मद मासूम रज़ा नूरी
हिन्दी ट्रान्सलेट
मौलाना रिजवानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी