औरतें नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ा सकती हैं?
सवाल:क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मसअला के बारे में कि क्या औरतें नमाज़े जनाज़ा पढ़ा सकती हैं जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी?
साईल:मोहम्मद यासिब हरदोही
जवाब: औरतें जनाज़ा की नमाज़ पढ़ा सकती है लेकिन अगर मर्दो ने उसकी इक़तिदा की तो उस की इक़तिदा सही ना होगी अल बत्ता नमाज़ हो जाएगी दोबारा पढ़ने की ज़रूरत ना होगी
और बहार ए शरीयत में है कि अगर औरत ने नमाज़ पढ़ाई और मर्दों ने उसकी इक़तिदा की तो लौटाई ना जाए कि अगरचे मर्दों की इक़तिदा सही ना होई मगर औरत की नमाज़ तो हो गई वही काफी है और नमाज़े जनाज़ा की तकरार जायज़ नहीं (बहार ए शरीयत जिल्द 1 सफा 826)
अज़ क़लम
हज़रत अल्लामा व मौलाना करीमुल्लाह रज़वी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)